छत्तीसगढ़

बस्तर में कुपोषण से जंग के बीच आंगनबाड़ी केन्द्रों में नहीं मिल रहा दूध, 4 महीने से सप्लाई ठप

बस्तर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार बस्तर (Bastar) से कुपोषण (Malnutrition) को खत्म करने के लिए जंग लड़ रही है. इसके लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च भी जा रहे हैं, लेकिन हकीकत के आईने में हालातों की जो तस्वीरें दिखाई दे रही हैं, उससे लगता नहीं है कि बस्तर से कुपोषण की जंग कभी खत्म होगी. जगदलपुर जिले के कई आंगनबाड़ी केन्द्र, जिनमें कुछ शहर के केन्द्र भी शामिल हैं, उनमें पिछले चार महीने से अमृत दूध की सप्लाई ठप है.

बस्तर (Bastar) के कई आंगनबाड़ी केन्द्रों में शासन के तय मेन्यू के अनुसार भोजन बच्चों को नहीं दिया जा रहा है. जगदलपुर शहर के आंगनबाड़ी केन्द्रों की पड़ताल में ये बात सामने आई है कि भगत सिंह वार्ड में स्थित आंगनबाड़ी क्रमांक 2 में पिछले चार महीने से दूध की सप्लाई बंद है. ये हाल शहर के आंगनबाड़ी केन्द्र का है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण अंचलों में चलने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों के हाल क्या होंगे. अमूमन जिले सभी आंगन बाड़ी केन्द्रों का हाल यही है. योजना के मुताबिक आंगन बाड़ी केन्द्र में आने वाले तीन से छह साल के बच्चों को महीने में एक दिन सौ मिली लीटर दूध दिया जाना है.

बताया जा रहा है कि रायपुर दुग्ध संघ द्वारा पिछली सरकार से दूध सप्लाई का जो रेट तय किया गया था. वह 52 रुपए लीटर था. यानि 52 रुपए प्रति लीटर दूध सप्लाई किए जाने का करार था, लेकिन सरकार बदलने के बाद दुग्ध सप्लाई करने वाले को सरकार को 66 रुपए में दूध सप्लाई किए जाने के लिए कहा गया. तब से लेकर अब तक मामला रेट को लेकर अटका हुआ है. हालांकि जिले की महिला एंव बाल विकास अधिकारी शैल ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि अप्रेल 2018 में सरकार द्वारा एक पत्र भेजा गया है, जिसमें तय रेट के तहत भुगतान करने के लिए कहा गया है. शैल ठाकुर के मुताबिक महीने में एक दिन बंटने वाला दूध विशेष तरह के बॉक्स में पैक कर जिला मुख्यालय भेजा जाता है.

बस्तर जिले में करीब 1900 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, जिसमें मिनी केन्द्र 123 हैं. इन केन्द्रों में करीब एक लाख दस हजार बच्चे पंजीकृत हैं. इसमें 17 हजार 110 बच्चे कुपोषित हैं. वहीं सात हजार 45 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. आंकडों के मुताबिक हर साल कुपोषित बच्चों की संख्या में कोई खास अंतर नहीं है. साल 2017-18 में कुपोषित बच्चों की संख्या 34.90 प्रतिशत थी. साल 2018-19 में 34.75 प्रतिशत बच्चे कुपोषित पाए गए.

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