गुवाहाटी
असम में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने जहां उन लोगों को सरकारी नौकरी नहीं देने का फैसला किया है जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. वहीं ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मुस्लिम बच्चे पैदा करते रहेंगे और वे किसी की नहीं सुनेंगे.
गुवाहाटी में बदरुद्दीन अजमल ने शनिवार को कहा, 'मैं निजी तौर पर मानता हूं और हमारा धर्म भी मानता है कि जो लोग दुनिया में आना चाहते हैं, उन्हें आना चाहिए और उन्हें कोई रोक नहीं सकता है.'
असम में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार को निशाने पर लेते हुए बदरुद्दीन अजमल ने कहा, 'आप (सरकार) चाहे जो भी कानून बना लें, लेकिन मुस्लिमों पर उसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है. प्रकृति को छूने की कोशिश करना ठीक बात नहीं है. बच्चा पैदा करने के लिए जो भी करना होगा, मुस्लिम करेंगे. बाद में यह मत कहना कि हमारे बच्चे अधिक हैं. वो मुस्लिमों पर शासन कर रहे हैं. प्रकृति से मत लड़ो.'
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद ने कहा, 'मुस्लिम बच्चे पैदा करना जारी रखेंगे और वे किसी की नहीं सुनेंगे. अब वे (बीजेपी सरकार) ये नया कानून ला रहे हैं ताकि मुस्लिमों को सरकारी नौकरी से दूर रखा जा सके. अगर उन्हें (मुस्लिमों) नौकरी नहीं मिलेगी तो पांच-छह बच्चे तो पैदा करेंगे ताकि आमदनी के लिए उनके पास ज्यादा हाथ हों. मुस्लिम लोगों में भी पढ़े-लिखे लोग बढ़ रहे हैं और दुनिया भर में काम कर रहे हैं.'
बदरुद्दीन अजमल ने कहा, 'मुझे पिछली रात पता चला कि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के माता-पिता की आठ संतान थीं. यदि वे पैदा नहीं करते तो क्या वह (सर्बानंद सोनोवाल) मुख्यमंत्री बन पाते.'
उन्होंने कहा कि, 'एक तरफ RSS और मोहन भागवत कहते हैं कि 10-10 बच्चे पैदा करो और दूसरी तरफ सरकार कहती है कि जिनके दो से ज्यादा बच्चे होंगे उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. पहले यह तय कर लें कि वे क्या चाहते हैं. आरएसएस जो कहता है वे (बीजेपी सरकार) उसे मानते नहीं हैं.'
क्या है असम सरकार का फैसला?
बता दें कि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की कैबिनेट ने 22 को यह फैसला लिया कि जिनके दो से ज्यादा बच्चे होंगे उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. कैबिनेट फैसले के मुताबिक 1 जनवरी, 2021 के बाद से दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को कोई सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी.
असल में, 126 सीटों वाली असम विधानसभा ने दो साल पहले जनसंख्या नीति को अपनाया था और अब सोनोवाल सरकार ने यह फैसला लिया है. सितंबर 2017 में असम विधानसभा ने असम की जनसंख्या और महिला सशक्तीकरण नीति को पास किया था ताकि छोटे परिवार को प्रोत्साहित किया जा सके.