नई दिल्ली
कर्नाटक सरकार ने महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की इजाजत देकर एक बड़ा फैसला लिया है। साथ ही, इस फैसले ने देश भर की महिलाओं के लिए एक बहस को खुला है। क्या दिल्ली में भी महिलाओं की नाइट शिफ्ट के बारे में सोचा जा सकता है। महिलाओं की इस इंतजाम के बारे में अलग-अलग राय है। महिलाओं के लिए काम कर रहे ऐक्टिविस्ट और संस्थाएं इस बारे में कई राय रखते हैं। इनका मानना है कि यह मुद्दा सिर्फ सुरक्षा से नहीं जुड़ा है बल्कि सामाजिक परिस्थितियों और सेहत से भी जुड़ा है।
महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता
हालांकि, कर्नाटक सरकार ने महिलाओं की नाइट शिफ्ट के साथ सुरक्षा का पूरा ख्याल रखने की शर्त को भी जोड़ा है मगर फिर भी इस मुद्दे पर बहस बड़ी है। कविता कृष्णन कहती हैं, सुरक्षा की नजर से कमजोर दिल्ली जैसे शहरों में यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी और मुश्किल भी होगा कि क्या उन्हें ट्रांसपोर्ट मिल रहा है या रात में फैक्ट्री में सही माहौल है या नहीं। क्या हर फैक्ट्री में यह सब चेक करने का सरकार का सही सिस्टम बन पाएगा? अब तक आईटी/ आईटीआई में काम करने वाली महिलाओं को नाइट शिफ्ट की छूट थी मगर कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद सभी इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को नाइट शिफ्ट इजाजत मिल गई है।
कर्नाटक सरकार ने महिलाओं के लिए लिया बड़ा फैसला
कर्नाटक सरकार का यह फैसला फैक्ट्री ऐक्ट 1948 कि उस रोक को हटाता है जिसके तहत महिलाएं फैक्ट्री में रात 7 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक काम नहीं कर सकती। सेंटर फॉर विमेंस डिवेलपमेंट स्टडीज की फैकल्टी इंद्राणी मजूमदार कहती हैं, महिलाओं के काम करने की परिस्थितियों की कीमत पर उनके लिए नाइट शिफ्ट ऑप्शन खोलने का आधार है मुनाफा कमाना। यह तर्क दिया जाता है कि रात में काम करने पर प्रतिबंध महिलाओं के लिए रोजगार के मौके देने से रोकता है। मगर यह विचार नहीं किया जा रहा है कि अगर प्रतिबंध हटा दिया जाता है, तो कुछ इंडस्ट्री में तो महिलाओं के लिए काम करने की शर्त ही नाइट शिफ्ट बन जाएगी। इससे इस तरह के रोजगार में उनकी एंट्री भी रुकेगी। भारत और विदेशों में अमीरों के मुनाफे को तरजीह देना नाइट शिफ्ट के बैन को हटाने की बड़ी वजह है, जिसे मूलभूत जरूरतों, स्वास्थ्य से ऊपर रखा जा रहा है।
दिल्ली की फैक्ट्रियों में बड़ी संख्या में महिलाएं
दिल्ली की तमाम फैक्ट्री में बड़ी संख्या में महिलाएं भी काम करती हैं लेकिन रात के समय को काम करने की उन्हें अनुमति नहीं है। हालांकि कर्नाटक सरकार के इजाजत देने के बाद दिल्ली की महिलाओं में भी रात में काम करने की उम्मीद जगी है। वो इसके लिए तैयार भी हैं, बशर्ते उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाए और अच्छी तनख्वाह मिले।
अच्छी सैलरी और सुरक्षा मिले तो तैयार हैं महिलाएं
चाणक्यपुरी में एक कारखाने में काम करने वाली बबीता ने बताया कि अगर अच्छी तनख्वाह और सुरक्षा मिले, तो वो काम करने के लिए तैयार है। वह चाणक्यपुरी में कपड़े की स्टिचिंग फैक्ट्री में काम करती हैं। उन्होंने कहा, एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हूं। यहां से जो भी कमाती हूं, उससे अपने परिवार की मदद करती हूं। वहीं, फैक्ट्री में नौकरी कर रहीं निशा कहती हैं, मुझे अपना घर भी देखना है, ऐसे में रात में काम नहीं कर सकती। सुबह अपने घर का सारा काम करके फैक्ट्री आती हूं और घर जाकर भी बच्चों को देखने से लेकर घर के सभी काम करती हूं।
फैक्ट्री चलानेवाले भी नाइट शिफ्ट से सहमत
फैक्ट्री चलाने वालों की अलग राय है। चाणक्यपुरी फैक्ट्री असोसिएशन के सदस्य चांद मोहम्मद कहते हैं, कर्नाटक की तर्ज में दिल्ली में भी यह लागू होना चाहिए क्योंकि चाणक्यपुरी में कई ऐसी फैक्ट्री हैं, जिनमें महिलाएं सबसे ज्यादा काम करती हैं। इसके साथ ही अगर महिलाओं को रात में काम करने की आजादी मिलेगी, तो वो भी अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकेंगी।