विदेश

 फिर चमका भारत भवन, 3 सितंबर को पाकिस्तान समर्थकों ने किया था गंदा

लंदन
ब्रिटेन की राजधानी लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में शनिवार को अलग ही दृश्य देखने को मिला. जिस उच्चायोग में लोग वीजा, पासपोर्ट समेत दूसरे कामों को करवाने आते हैं, वहां कई भारतीय वाइपर, मॉपर और बाल्टी लेकर पहुंचे थे. यहां पर मौजूद भारतीयों में युवक-युवती और बुजुर्ग भी शामिल थे. ये सभी लोग भारतीय दूतावास परिसर की सफाई में जी-जान से जुटे.

लंदन की वीआईपी लोकेशन में स्थित भारतीय दूतावास को पाकिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने 3 सितंबर को कूड़े-कचरे से भर दिया था. जम्मू-कश्मीर के नाम पर प्रदर्शन के बहाने ये प्रदर्शनकारी नीचता पर उतर आए. इन्होंने भारतीय परिसर में अंडे, टमाटर, बर्फ भरी बोतल और स्मोक बम फेंके. प्रदर्शनकारियों की इस हरकत में भारतीय दूतावास की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था.

3 सितंबर से ये कचरा भारतीय दूतावास में ही पड़ा था. आखिरकार लंदन में भारतीय उच्चायुक्त रुचि घनश्याम और डिप्टी हाई कमिश्नर चरणजीत सिंह ने खुद इस कचरे को साफ करने का जिम्मा उठाया. उनकी इस कोशिश में कई भारतीय भी शामिल हो गए. प्रदर्शनकारियों द्वारा फेंके गए अंडे और टमाटर के दाग बिल्डिंग की दीवारों पर लग गए. इन दागों को रगड़-रगड़ कर छुड़ाया गया. लंदन में ऑडिट डायरेक्टर गौरव महना ने कहा कि हमलोग शांतिपूर्ण तरीके से सफाई कर दुनिया को संदेश देना चाहते हैं.

इस मौके पर रुचि घनश्याम ने कहा कि हमलोग अपना घर खुद साफ करते हैं और दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते हैं. हम स्वच्छ भारत अभियान को लंदन ले आए हैं और हम बापू के सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं. बता दें कि 3 सितंबर को भारतीय दूतावास पर हुआ प्रदर्शन महीने भर के अंदर दूसरा प्रदर्शन था. इससे पहले 15 अगस्त को भी पाकिस्तानी समर्थकों ने प्रदर्शन किया था. इस घटना के लिए 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें बेल पर रिहा कर दिया गया है.

परिसर की सफाई करने आए विनोद टिक्कू नाम के एक कश्मीरी ने कहा, "1990 में कश्मीरी हिंदुओं को सामूहिक यातना दी गई, अब लंदन की सड़कों पर भी हमें डराया-धमकाया जा रहा है. जो लंदन में कश्मीरियों के कथित मानवाधिकार के लिए लड़ने आए उन्होंने मानवाधिकारों का हनन किया. ये सिर्फ एक प्रोपेगैंडा है."

हिंसक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए नंदिनी नाम की महिला ने कहा कि अगर इस तरह की हिंसक प्रवृतियों को शुरुआत में ही नहीं कुचला गया तो इसका नतीजा आगे बुरा हो सकता है.

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