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फर्रुखाबाद में बच्चों को बंधक बनाने वाले सुभाष की बेटी को गोद लेगी पुलिस

लखनऊ                                                                                                              
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में 25 बच्चों को बंधक बनाने वाले क्रूर सुभाष बाथम की बेटी को पुलिस विभाग गोद ले सकता है। सुभाष ने फर्रुखाबाद के करथिया गांव में 25 बच्चों को बंदी बना लिया था। कई घंटों के संघर्ष के बाद पुलिस ने उसे मार गिराया था। आईजी कानपुर (रेंज) मोहित अग्रवाल ने कहा, "बाथम के परिवार के सदस्यों में से किसी ने भी उसकी एक वर्षीय बेटी को अपनाने के लिए हमसे संपर्क नहीं किया है। यदि कोई नहीं पहुंचता है, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चे को हमारे ऐसे कर्मी द्वारा अपनाया जाए जिसके पास कोई संतान नहीं है। ”

आईजी ने कहा कि बच्ची जब तक वह पुलिस कस्टडी में रहेगी, तब तक उसका सारा खर्च विभाग वहन करेगा। उन्होंने घोषणा की कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्ची के पढ़ाई का खर्च भी पुलिस विभाग द्वारा वहन किया जाए और उसे अच्छी शिक्षा मिल सके। पुलिस ने बाथम की मां सुरजा देवी से भी संपर्क किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। याद दिला दें कि बाथम ने बीती गुरुवार रात बेटी के जन्मदिन के बहाने 25 बच्चों को आमंत्रित कर उन्हें बंदी बना लिया था। बाद में उसी रात पुलिस ऑपरेशन में बाथम मारा गया था। गुस्साई भीड़ ने सुभाष बाथम की पत्नी रूबी को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया था। ऑपरेशन खत्म होने केबाद पुलिस ने बाथम के घर से उसकी बेटी को बचाया था।

काहेका बिटवा, हमका मारत-पीटत रहा, मर गवा होई-भागो इहां से। यह शब्द थे पुलिस एनकाउंटर में मारे गए बदमाश सुभाष बाथम की बूढ़ी मां के। मैनपुरी के अहकरियापुर गांव में रहने वाले सुभाष की मां सुरजादेवी को बेटे के अंतिम संस्कार के लिए लेने पहुंचे मोहम्मदाबाद के दरोगा रामसरन मां का आक्रोश सुन दंग रह गई। लाख समझाने के बाद भी वह बेटे का शव देखने तक को तैयार न हुई। थक हारकर पुलिस को लौटना पड़ा।

चलने-फिरने में लाचार, पैरासिसिस रोग से पीड़ित सुरजादेवी ने कहा, हमका गांव वाले बताइन कि सुभषवा गांवन के बच्चन का कैद कै लीस है। बताओ नान-नान बच्चन का भूखे-प्यासे धरा रहा। कौनन की सुनिस तक नाही। हमऊ का बहुत मारत रहा। काहे का बिटवा। बूढ़ी मां के ये शब्द सुनकर गांव वाले तक हैरान हो गए। रविवार को उसे मानाने पहुंचे दरोगा ने गांव वालों और अन्य रिश्तेदारों से भी मां को माने के लिए कहा, लेकिन सभी ने भी हाथ खड़े कर दिया। लोगों ने कहा, एेसे बेटे का क्या फायदा जो मां-बाप की सेवा तक न कर सके। अंत में दल बल के साथ पहुंचे दरोगा रामसन ने जानकारी इंस्पेक्टर को दी और लौट आए।

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