रायपुर
नीतियां बनाते समय संबंधित विषय के सभी पहलूओं का ध्यान रखना जरूरी होता है। थोड़ी सी चूक योजना के क्रियान्वयन व उपयोगिता पर ही सवालिया निशान खड़ा कर देती है। ऐसा ही कुछ डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत बनाई गई प्रसव गाइडलाइन को लेकर सामने आ रही है। डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के गाइडलाइन से नाराज प्राइवेट हॉस्पिटल बोर्ड की मेडिकल कॉलेज में बैठक हुई। बैठक में डॉक्टरों ने प्रसव के लिए बनाये गए नियम को उचित नहीं माना। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार के नियम से मां और बच्चे के जान को खतरा होगा। इसे अभी नहीं समझा गया तो आगे परेशानी होगी। इसलिए स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपकर मामले से अवगत कराने का निर्णय लिया गया।
हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि शासकीय अस्पतालों में डिलीवरी को अनिवार्य कर दिया गया है। प्राइवेट अस्पतालों को इस योजना से बाहर कर दिया गया है। जिन सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन आॅपरेशन के लिए उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहां गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट अस्पताल रेफर किया जाएगा। इससे रास्ते में गर्भवती महिला और उसके बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। इस प्रकार की स्थिति में तुरंत निर्णय लिए जाने की जरूरत होती है, लेकिन निर्णय नहीं लिए जाने की स्थिति में जब डॉक्टर और मरीज का आमना-सामना होता है तब मरीज और उसके परिजनों को समझाना मुश्किल हो जाता है।
वर्तमान गाइड लाइन में काम करना संभव नहीं है। इमरजेंसी के समय गर्भवती महिलाओं को और उसके बच्चे को इससे परेशानी हो सकती है। बच्चे की मृत्यु होने की भी संभावना रहती है। इसीलिए अधिकारियों को धरातल की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है। अगर वह इस बात को नहीं समझते हैं तो बेहतर यही होगा कि इस योजना को पूर्ण रूप से सरकारी अस्पतालों को दिया जाए और प्राइवेट अस्पतालों को अलग-अलग कर दिया जाए।