भोपाल
प्रदेश के पटवारियों को लेकर चौंकाने वाले जानकारी सामने आई है। प्रदेश में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ाने के सबसे ज्यादा मामले पटवारियों के ही सामने आते हैं। लोकायुक्त पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से अगस्त तक 29 पटवारियों को प्रदेश की विभिन्न अदालतों से भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनाई जा चुकी है। यह लोकायुक्त के मामलों में इस वर्ष सुनाई गई सजा का औसत 25 फीसदी के लगभग है।
रंगे हाथों रिश्वत लेने के लोकायुक्त में दर्ज पुराने मामलों में जनवरी से लेकर अगस्त तक लगभग सवा सौ प्रकरणों में सजा सुनाई गई। इनमें से 29 फैसलों में सजा पाने वाले पटवारी ही है। हालाांकि सजा जिन्हें मिले हैं उनमें से किसी का भी प्रकरण इस वर्ष का नहीं है। यह प्रकरण दो साल से लेकर 14 साल पुराने तक हैं।
रिश्वत लेते पकड़ाने वाले पटवारियों में महिलाएं भी शामिल हैं। 21 अगस्त को पटवारी सविता दुबे को सजा हुई। दुबे ने प्रतिनियुक्ति पर ऊर्जा विभाग में पदस्थ रहने के दौरान साढ़े आठ हजार रुपए की रिश्वत ली थी। वहीं पटवारी सुशीला परस्ते, सीमा कटारे, रंजीता सोनगरा, विमला वानस्कर को भी इस वर्ष अदालत ने सजा सुनाई है।
हाल ही में पटवारियों को लेकर उच्च शिक्षा एवं खेल मंत्री जीतू पटवारी ने इंदौर के एक कार्यक्रम में पटवारियों को सबसे भ्रष्ट बताया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी जीतू पटवारी के इस बयान का समर्थन कर दिया। मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बयानों से नाराज होकर पटवारी हड़ताल पर चले गए। बाद में राजस्व मंत्री गोविंद सिंह ने उन्हें मनाया, लेकिन पटवारी मंत्री जीतू पटवारी से माफी मंगवाने पर अड़े थे। आखिर जैसे-तैसे सरकार ने पटवारियों की हड़ताल को तुड़वाया।