मध्य प्रदेश

प्रदेश की पारेषण क्षमता हुई 17 हजार 200 मेगावाट

भोपाल

प्रदेश के अति उच्च दाब उपकेन्द्रों की ट्रांसफार्मेशन क्षमता 61 हजार 200एमवीए, अति उच्च दाब लाइनों की कुल लंबाई 35 हजार 570 सर्किट किलोमीटर एवं अति उच्च दाब उप केन्द्रों की कुल संख्या 370 हो गई है। पिछले वित्त वर्ष में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा 24 नए उप केन्द्रों का निर्माण कर उन्हें ऊर्जीकृत किया गया है एवं कुल ट्रांसफार्मेशन क्षमता में 4870.5 एमवीए की वृद्धि की गई। इसी प्रकार वर्ष 2018-19 तक पारेषण क्षमता 17 हजार 200 मेगावाट हो गई है, जो कंपनी गठन के समय 3890 मेगावाट थी। इस प्रकार पारेषण क्षमता में कंपनी गठन के बाद 442 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने इस वित्त वर्ष के लिये कुल 6794 एमवीए ट्रांसफार्मेशन क्षमता वृद्धि, 22 नए उप केन्द्रों का ऊर्जीकरण एवं 2181 सर्किट किलोमीटर लाइन के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इसके विरूद्ध जुलाई 2019 तक कुल 205.8 किलोमीटर पारेषण लाइन का निर्माण एवं उप केन्द्रों की क्षमता में 470 एमवीए की वृद्धि की जा चुकी है।

मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने विगत वर्षों में पारेषण प्रणाली में किए गुणवत्तापूर्ण विस्तार से पारेषित ऊर्जा का नया रिकार्ड को स्थापित करते हुए पारेषण हानि, जो कंपनी के गठन के पहले 7.93 प्रतिशत थी, से घटाकर पिछले वित्त वर्ष में 2.71 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर कायम रखते हुए, 14 हजार 89मेगावाट की अधिकतम मांग की आपूर्ति की है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पारेषण प्रणाली की उपलब्‍धता के लिये निर्धारित मापदण्ड 98 प्रतिशत की तुलना में कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में 99.59 प्रतिशत की उपलब्धता प्राप्त की। इस प्रकार कंपनी ने 2018-19 में सर्वाधि‍क सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन, सर्वाधिक संख्या में सब स्टेशन, न्यूनतम ट्रांसमिशन लास, सर्वाधिक पारेषण उपलब्धता, सर्वाधिक ट्रांसफार्मेशन केपेसिटी और सबसे अधिक रेल्वे ट्रेक्शन लाइनों के निर्माण का कीर्तिमान बनाया।

आगामी रबी सीजन में बिजली की अधिकतम माँग लगभग 16 हजार मेगावाट तक पहुँचने की संभावना है, जिसकी आपूर्ति के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क भी तैयार है। नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन की रियल टाइम मानिटरिंग के लिए रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट केन्द्र की स्थापना राज्य भार प्रेषण केन्द्र में की गई है। वर्तमान में प्रदेश में सौर ऊर्जा की क्षमता 1961.91 एवं नवकरणीय ऊर्जा की कुल क्षमता 4603.14 मेगावाट हो गई है। राज्य भार प्रेषण केन्द्र में उपलब्धता आधारित टैरिफ, लघु अवधि खुली पहुँच और मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम के लिये कंप्यूटर आधारित प्रणाली स्थापित कर उसे क्रियाशील किया गया है।

प्रदेश में स्थापित किए जाने वाले नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से उत्पादित विद्युत ऊर्जा की 2100 करोड़ लागत की परियोजना (ग्रीन एनर्जी कारीडोर प्रोजेक्ट) क्रियान्वित की जा रही है। योजना में राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि से 40 प्रतिशत अंश का अनुदान, के.एफ.डब्ल्यू. डेव्हलपमेंट बैंक, जर्मनी द्वारा 40 प्रतिशत अंश का ऋण एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा 20 प्रतिशत का अंश प्रदान किया जा रहा है। परियोजना में कार्यादेश प्रसारित किए जा चुके हैं और समय-सीमा में पूर्ण कर लिए जाएंगे। प्रदेश में पहली बार तीन जीआईएस उप केन्द्र के भोपाल, इंदौर और जबलपुर में निर्माण के आदेश हो गए हैं। जीआईएस उप केन्द्र की विश्वसनीयता एआईएस उप केन्द्र की तुलना में अधिक है एवं संचालन/संधारण का कार्य कम तथा सुगम होता है।

यूबीआई योजना कंपनी द्वारा प्रथम बार 400 केवी मालवा-पीथमपुर-बदनावर लाइन की चुनौतियों से भरा निर्माण स्क्वॉड मूस कंडक्टर लगाकर एवं नदी क्रासिंग लोकेशन पर 134 मीटर ऊँचाई के सामान्य टावर से लगभग 100 गुना वजनी टावर लगाकर किया गया। इसे ऊर्जीकृत भी किया गया है।

पारेषण प्रणाली में नए निर्माण कार्यों के साथ पिछले वित्त वर्ष में इस वित्त वर्ष के जून माह तक परीक्षण एवं संचार संकाय द्वारा पावर ट्रांसफार्मरों की क्षमता में कुल 2209 एमव्हीए की वृद्धि की गई। गुणवत्तापूर्ण विद्युत प्रदाय सुनिश्चित करने के लिये पारेषण प्रणाली में कुल 278 एमव्हीएआर रिएक्टिव पावर कंपन्सेशन की क्षमता वृद्धि की है। इससे पारेषण हानि को भी कम करने में मदद मिली है। रेलवे विद्युतीकरण के 17 रेल्वे टेक्शन फीडर वे को ऊर्जित करने का कार्य भी किया गया है। पीएसडीएफ स्कीम में अति उच्च दाब उप केन्द्रों में स्थापित पुरानी तकनीक और अपर्याप्त फाल्ट क्षमता के विद्युत उपकरणों को आधुनिक एवं वर्तमान सिस्टम में उपयोगी नए उपकरणों से बदलने का चुनौतीपूर्ण कार्य अल्प अवधि में कर उप केन्द्रों का उन्नयन भी किया गया है।

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