खेल

पैरा खिलाड़ियों के लिए भी आम खिलाड़ी जैसी सुविधाएं होनी चाहिए: मानसी जोशी

नई दिल्ली
पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली खिलाड़ी मानसी जोशी हर जगह छाई हुई हैं.  गुजरात की रहने वाली मानसी जोशी ने महिला एकल में गोल्ड मेडल जीता है. 30 साल की इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर मानसी जोशी ने एक सड़क हादसे में अपना एक पैर खो दिया, लेकिन मानसी का जज्बा कम नहीं हुआ हैं. अपने घर अहमदाबाद लौटी मानसी का गुजरात स्पोर्ट्स ऑथॉरिटी की ओर से स्वागत किया गया. मानसी के साथ पारुल परमार जो की वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उसके साथ फाइनल में थी वो भी अहमदाबाद से ही हैं.

वर्ल्ड चैम्पियन मानसी जोशी और अर्जुन अवॉर्ड विजेता पारुल परमार दोनों का ही सपना है कि 2020 पैरा ओलम्पिक में देश का नाम रोशन करे. पैरा ओलम्पिक वर्ल्ड चैम्पियनशिप की खास बात यह थी कि, फाइनल में दोनों ही भारतीय खिलाड़ी एक दूसरे के सामने थीं. मानसी जोशी और पारुल परमार, जिसमें मानसी ने चार बार की पैरा बैडमिंटन चैम्पियन पारुल को हराकर गोल्ड मेडल खुद के नाम किया.

मानसी का कहना है कि उनके लिए शुरुआत में यह काफी चुनौतीपूर्ण था. वह पिछले एक साल से गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग ले रही थी, दिन में तीन-तीन सेशन करना और फिर फिजियो के लिए जाना काफी मुश्किल था, जब मैं टूर्नामेंट के लिए गई तो उम्मीद नही थी कि मैं गोल्ड अपने नाम करुंगी, लेकिन हां ये भरोसा जरूर था कि मैंने अलग तरह से तैयारी की थी, उससे उम्मीद थी कि कुछ अच्छा जरूर होगा.

मानसी ने इस जीत को हासिल करने के लिए काफी फिजिकल तैयारी के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी तैयारियां की थी. मानसी का कहना है कि मानसिक तौर पर शांत रहने के लिए उन्होंने कई किताबें पढ़ी थी और मन को शांत रखना भी सीखा था. मानसी और पारुल दोनों ही भारत से हैं और दोनों ही साथ में फाइनल में पहुंची, मानसी का कहना है कि जिसको मैं अपना आदर्श मानती थी उन्हीं के सामने फाइनल खेलने का मौका मिला था. यह काफी दिलचस्प मैच रहा था.

वहीं इस मैच में सिल्वर मेडल जीतने वाली पारुल परमार ने अबतक अपनी जिंदगी में बैडमिंटन में 35 अलग-अलग चैम्पियनशिप जीती हैं. पारुल परमार का कहना है कि ऐसा पहली बार है कि इतनी चैम्पियनशिप जीतने के बाद हमें तुंरत पैसा मिला है. आम तौर पर पैरा प्लेयर को स्पॉन्सर भी मिलना काफी मुश्किल रहता है.

मानसी का कहना है कि जिस तरह से आम खिलाड़ियों को मदद मिलती है, वैसी ही मदद पैरा खिलाड़ियों के लिए भी होनी चाहिए. इससे खिलाड़ी का मनोबल बढ़ता है. मानसी और पारुल दोनों ही अब टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी कर रहे हैं, दोनों ही चाहते हैं कि पहली बार पैरा ओलम्पिक में बैडमिंटन खेला जा रहा है, ऐसे में वो दोनों ही वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतें.

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