भोपाल
राज्य-स्तरीय पर्यावरण समाधान निर्धारण प्राधिकरण (सिया) के चेयरमेन राकेश श्रीवास्तव ने कहा है कि पृथ्वी पर जीवन बचाने के लिये विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण संतुलन बनाये रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सिया का काम सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ जीवन की निरन्तरता से भी जुड़ा हुआ है। श्रीवास्तव आज यहाँ प्रशासन अकादमी में आयोजित 'पर्यावरणीय अनुमति एवं अनुपालन'' कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
राकेश श्रीवास्तव ने दिल्ली में पर्यावरण असंतुलन के कारण निर्मित स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश का पूर्वी भाग भी इस स्थिति से प्रभावित हो रहा है। शिमला, मसूरी और नैनीताल में पर्यावरण संरक्षण के लिये ग्रीन टैक्स की व्यवस्था का उल्लेख करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि आम नागरिक को पर्यावरण संरक्षण के प्रति साक्षर बनाना बहुत जरूरी है। ऐसा करने पर ही हम पृथ्वी पर जीवन को कायम रख सकते हैं।
सिया चेयरमेन राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने हमें समृद्ध पर्यावरण दिया लेकिन हम अपनी आने वाली पीढ़ी को कैसा पर्यावरण देकर जायेंगे, यह चिंतन का विषय है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि खदानों की अनुमति के समय क्षेत्र का भ्रमण अवश्य करें और लिखित आश्वासनों का कड़ाई से पालन करायें। श्रीवास्तव ने खदानों की अनुमति के बाद पौधा-रोपण की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि सीएसआर/सीएआर के माध्यम से सामाजिक कार्य स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर करना जरूरी है।
सेक (राज्य-स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति) अध्यक्ष मो. कासम खान ने कहा कि खदान की मंजूरी के समय सड़क, पेड़, नहर, नदी की सूची आवश्यक रूप से लगायें और इस बात का भी उल्लेख रहे कि 500 मीटर के दायरे में कितनी खदान हैं। खान ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर रेत खदानों की अनुमति दी जाये।
कार्यशाला को एप्को के कार्यपालन संचालक जितेन्द्र सिंह राजे ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. मुन्ना शाह संयुक्त संचालक पर्यावरण वन भारत सरकार, सिया के सदस्य आर. के. शर्मा, खनिज अधिकारी, खदान मालिक और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।