पूर्व मंत्री मंजू वर्मा व उनके पति को राहत

पटना 
राज्य की पूर्व कल्याण मंत्री मंजू वर्मा व उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के खिलाफ बेगूसराय के कोर्ट में चल रहे आर्म्स एक्ट के मामले में पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है। साथ ही केस को विस्तृत सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है। 
न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा की एकलपीठ ने चंद्रशेखर वर्मा उर्फ शेखर वर्मा व कुमारी मंजू वर्मा उर्फ मंजू वर्मा की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की।
आवेदकों की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि मंत्री पद पर रहते हुए उनकी ससुराल के पैतृक घर पर सीबीआई ने 17 अगस्त 2018 की सुबह आठ बजे छापेमारी की थी। इस दौरान एक कमरे से करीब 50 गोलियां मिलीं। इसके बाद सीबीआई ने स्थानीय पुलिस को गोली बरामदगी मामले में प्राथमिकी कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। 
फिर चेरिया बरियारपुर पुलिस ने सीबीआई के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट उमेश कुमार के बयान पर एफआईआर (कांड संख्या 143/18) दर्ज की। उनका कहना था कि घर पर कोई नहीं था। गोली किसकी है और किसने रखी, इस बारे में पुलिस ने कोई अनुसंधान नहीं किया है। वहीं अपर लोक अभियोजक (एपीपी) ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व मंत्री के घर से गोलियां बरामद हुई हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि आप पटना में वकालत कर रहे हैं और आपके पैतृक घर से गोली बरामद होती है तो आप को अभियुक्त बना दिया जाना चाहिए। 
कोर्ट की ओर से उठाये गए सवाल का जवाब नहीं दिए जाने के बाद कोर्ट ने मामले पर विस्तृत सुनवाई के लिए उसे मंजूर कर लिया। साथ ही निचली अदालत के आदेश पर किसी प्रकार की कार्रवाई को स्थगित रखने का आदेश दिया। गौरतलब है कि बेगूसराय सिविल कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक भटनागर ने आर्म्स एक्ट के मामले में मंजू वर्मा व चंद्रशेखर वर्मा के विरुद्ध शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1- बी)ए, 26,35  में आरोप का गठन किया था। साथ ही इस मुकदमे में 27 मार्च को गवाही की तारीख मुकर्रर की है। निचली अदालत ने आरोप गठन के दौरान दोनों आरोपितों को उन पर लगाए गए आरोप को पढ़कर सुनाया था, जिस पर आरोपितों ने अपने आप को निर्दोष बताया।  

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