रायपुर
मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्र डॉयरेक्ट ट्रेड मेडिकल एजुकेशन से अटेंडेंस को लेकर जारी सर्कुलेशन से परेशान है. 2017-18 में पूरक आए विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है. जिससे सभी मेडिकल कॉलेजों के करीब 300 से ज़्यादा छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. इसी समस्या को लेकर प्रदेश भर के सभी मेडिकल कॉलेजों के छात्र डीएमई कार्यालय पहुंचे.
छात्रों के प्रतिनिधि डॉक्टर राकेश गुप्ता ने बताया कि डॉयरेक्टेड मेडिकल शिक्षा के ज़िम्मेदार अधिकारी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के नियमों का ग़लत व्याख्या कर छात्रों के भविष्य अधर में लटका दिया गया है. बीच का रास्ता निकालने के लिए चर्चा हुई है और सलाह दिया गया है.
डॉक्टर यशवंत ने बताया कि छात्र इसलिए परेशान हो रहे हैं और इसकी ग़लत व्याख्या की जा रही है क्योंकि एमसीआई का दो रूल है. पहला रूल – यदि कोई छात्र फ़र्स्ट सेम की परीक्षा में सप्लीमेंट्री आ जाता है और थर्ड में पास हो जाता है, तो सेकेंड सेमेस्टर का एग्ज़ाम दिलाने के लिए 18 माह का समय मिलता है. दूसरा रुल के मुताबिक़ कोई छात्र फ़र्स्ट ईयर के एग्ज़ाम में फेल हो जाता है और पूरक में पास हो गया तो अपने बैच वालों के साथ पढ़ाई कर सकता है. दो नियम में कन्फ्यूज़ होकर छात्रों को परेशान किया जा रहा है.
एडिशनल संचालन डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन डॉक्टर निर्मल वर्मा ने बताया कि जो छात्र ज्ञापन सौंपने आए थे वो MBBS के सेकेंड ईयर के बच्चे हैं. एमसीआई के नियमों के अनुसार 18 महीने पढ़ाई के बाद सेकेंड ईयर की पात्रता होती है, लेकिन इन बच्चों का 18 माह नहीं हुआ और वो छः महीना पहले एग्ज़ाम देना चाहते हैं. वो भी अपने पूर्व बैच में, क्योंकि ऐसा करना ग़ैरक़ानूनी होगा और भविष्य में इनको बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. सभी मेडिकल कॉलेजों को पत्र जारी कर कहा गया है कि जो 18 महीने की पात्रता रखते हैं उन्हीं का परीक्षा लिया जाए, लेकिन जो छात्र कह रहे हैं कि हम पूरक के बाद भी सेम ईयर की पढ़ाई करते रहे हैं, तो इसकी जाँच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.