नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें संकट में जूझ रहे पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी(पीएमसी) बैंक का बकाया भुगतान करने के लिए एचडीआईएल की संपत्तियों को बेचने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) द्वारा हाईकोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया। साथ ही पीठ ने सरोश दमानिया सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।
मालूम हो कि दमानिया ने ही बांबे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए पीएमसी बैंक खाता धारकों का बकाया सुनिश्चित करने की गुहार की थी।सनद रहे कि हाईकोर्ट के इससे पहले एचडीआईएल की संपत्तियों का आकलन कर बेचने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
आरबीआई का कहना है कि जिस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किया था, उसमें बैंकिंग क्षेत्र के नियामक को पक्षकार नहीं बनाया गया था। आरबीआई का पक्ष सुने बगैर हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर दिया।
पीएमसी बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए आरबीआई ने कई कदम उठाए थे लेकिन इन बातों को अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया। लिहाजा आरबीआई ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाने की गुहार की है।
यह घोटाला 6500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। पहले बात सामने आई थी कि यह घोटाला 4,355 करोड़ रुपये का है। मामले में एक सूत्र ने बताया था कि, 'यह आश्चर्य की बात है कि बैंक की तरफ से बांटे गए कुल कर्ज का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ एक ही कंपनी को दिया गया।
उसने कहा कि हो सकता है कि बैंक साल 2008 से ही फर्जीवाड़ा कर रहा है। पिछले 10 सालों से हाउसिंग कंपनी एचडीआईएल को पैसे दिलाने के लिए बैंक ने कईं डमी खाते खोले थे। बैंक के चेयरमैन वरयाम सिंह एचडीआईएल के बोर्ड में शामिल थे। बैंक द्वारा एचडीआईएल को रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन के तौर पर कितना कर्ज दिया गया, इसका खुलासा नहीं किया गया था, जो नियमों के विरुद्ध है।