नई दिल्ली
आईएनएक्स मीडिया केस में पी चिदंबरम को जमानत मिलने के बाद राहुल गांधी की प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम को 106 दिन तक कैद रखना बदले की कार्रवाई थी। उन्होंने यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय से पूर्व वित्तमंत्री को आईएनएक्स मीडिया मामले में मिली जमानत के कुछ ही देर बाद की।
न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने चिदंबरम को जमानत दी। 74 वर्षीय कांग्रेस नेता 21 अक्टूबर से हिरासत में थे। उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें 16 अक्टूबर को धनशोधन के आरोप में गिरफ्तार किया था।
राहुल गांधी ने कहा, ''माननीय पी चिदंबरम को 106 दिन तक कैद में रखना बदले की कार्रवाई थी। मैं खुश हूं कि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दी। मुझे पूरा भरोसा है कि वह निष्पक्ष सुनवाई में स्वयं को निर्दोष साबित करेंगे।
इससे पहले न्यायालय ने कहा कि उसके आदेश का इस मामले के किसी भी अन्य आरोपी पर कोई प्रभाव नहीं होगा और पूर्व मंत्री आवश्यकता पड़ने पर इस प्रकरण की आगे जांच में जांच एजेन्सी के साथ सहयोग करेंगे। पीठ ने चिदंबरम को जमानत देने से इंकार करते समय अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखे जाने को न्यायोचित बताया लेकिन उसने इस मामले के गुण दोष के बारे में अदालत की टिप्पणियों को नकार दिया। पीठ ने कहा कि अपराध की गंभीरता का आकलन तो प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अदालत करेगी।
न्यायालय ने कहा कि शुरू में वह सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के अवलोकन के पक्ष में नहीं थी लेकिन चूंकि उच्च न्यायालय ने इनका अवलोकन किया था, इसलिए शीर्ष अदालत के लिये इन पर गौर करना जरूरी हो गया था। पीठ ने फैसला सुनाने के बाद रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गयी सामग्री प्रवर्तन निदेशालय को लौटा दी जाये। पीठ ने कहा कि उसके आदेश को इस मामले के गुण दोष के बारे में किसी प्रकार का निष्कर्ष नहीं माना जायेगा ओर चिदंबरम के मामले की कथित पेचीदगी पर निचली अदालत विचार करेगी।
सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक मामला दर्ज किया था जिसमें आरोप था कि 2007 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुईं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया था।