नई दिल्ली
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) आज दोपहर को इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बढ़त का आंकड़ा जारी करेगा. इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि इस तिमाही में पांच साल की सबसे कम ग्रोथ देखने को मिल सकती है. रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट और रॉयटर्स के सर्वेक्षण में जीडीपी आंकड़ों को लेकर निराशाजनक संकेत दिए गए हैं.
देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्ती के दौर में है, ऐसे में अगर जीडीपी में कम बढ़त के आंकड़े आए तो हालत और खराब होगी. अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण में शामिल एक्सपर्ट्स का मानना है कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़त दर गिरकर 5.7 फीसदी तक आ सकती है.
रॉयटर्स के सर्वे में शामिल 40 फीसदी इकोनॉमिस्ट का तो यह मानना है कि जीडीपी में बढ़त दर महज 5.6 फीसदी रह सकती है. यह पांच साल की सबसे कम ग्रोथ रेट होगी. यही नहीं, यह पिछले सात साल में किसी तिमाही की सबसे कमजोर शुरुआत हो सकती है. इसके पिछले वित्त वर्ष यानी जनवरी से मार्च की तिमाही में भी अर्थव्यवस्था सुस्त रही थी और जीडीपी में बढ़त सिर्फ 5.8 फीसदी हुई थी.
लगातार दूसरी तिमाही में 6 फीसदी से कम ग्रोथ रहने की वजह से अर्थव्यवस्था के और सुस्ती में चल जाने की आशंका है. बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक की एक आंतरिक आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल से जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त की दर महज 5.5 फीसदी रह सकती है.
ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण में भी जून तिमाही में जीडीपी बढ़त दर 5.7 फीसदी तक ही रहने का अनुमान जारी किया गया है. इसी प्रकार इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने भी पहली तिमाही में जीडीपी बढ़त 5.7 फीसदी होगी. इंडिया रेटिंग्स ने भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. एजेंसी का मानना है कि खपत में कमी, मॉनसून की बारिश अपेक्षा से कम, मैन्युफैक्चरिंग में कमी आदि की वजह से लगातार तीसरे साल अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9 फीसदी की ग्रोथ रेट होनी चाहिए.