ग्वालियर
परिवहन विभाग ने अपनी आय बढ़ाने के लिए पुराने वाहनों के पंजीयन नवीनीकरण(रिन्युवल)कराने पर जो ग्रीन टैक्स थोपा है,वह वाहन स्वामियों को अखर रहा है। जब से ग्रीन टैक्स लागू किया है,तभी से पुराने वाहनों के पंजीयन के नवीनीकरण की संख्या घट गई है। पंजीयन रिन्यु कराने बिना ही लोग सड़कों पर पुराने वाहनों का संचालन कर रहे हैं।
इसकी बजह यह है कि 15 साल पुराने हो चुके ज्यादातर वाहनों की मार्केट में कोई कीमत नहीं बचती है। कबाड़ के भाव में ही बिकते हैं। ग्रीन टैक्स के साथ ऐसे वाहनों के पंजीयन रिन्यु कराने में जो खर्चा हो रहा है,वह चार पहिया वाहनों का दस हजार से अधिक और दो पहिया वाहनों का चार हजार से अधिक होता है। इसलिए लोग अपने पुराने वाहनों के पंजीयन रिन्यु कराने के बजाय या तो वाहनों को घर पर खड़ा किए हुए हैं,या कबाड़ में बेच देते हैं। जो लोग वाहन चला भी रहे हैं,तो रिन्यु कराए बिना ही ऐसा कर रहे।
बात दे कि परिवहन विभाग ने 15 साल पुराने वाहनों के पंजीयन रिन्यु कराने पर पिछले साल से ग्रीन टैक्स लागू किया हुआ है। कार पर पांच हजार ग्रीन टैक्स और दो पहिया वाहनों पर दो हजार ग्रीन टैक्स लिया जा रहा। इसके अलावा रिन्युवल फीस अलग से ली जाती है। वही रिन्युवल कराने के लिए वाहन स्वामियों को थर्ड पार्टी बीमा भी अपने वाहन का कराना होता है। 15 साल में ज्यादातर वाहन ऐसे हो जाते हैं,जिनकी स्थित ठीक नहीं होती। दो पहिया वाहनों की तो इतनी कीमत ही नहीं बचती,जितना पैसा रिन्युवल में खर्च हो रहा। इसलिए लोग अपने दो पहिया वाहनों को रिन्यु कराए बिना ही चलाते रहते हैं। वहीं 15 साल बाद कारों की की मार्केट वैल्यू बहुत कम हो जाती है।