नई दिल्ली
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने करीब 4 साल पहले पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। आतंकियों का इरादा वायुसेना के सिक्यॉरिटी सेट-अप को भारी नुकसान पहुंचाना था। इस हमले के बाद से पाकिस्तान के साथ देश के संबंध और बिगड़ गए। हालांकि, अब जल्द ही पठानकोट में इंडियन एयरफोर्स का बेस 'अभेद्य' होगा, क्योंकि फ्रंटलाइन स्टेशन पर नई 'वर्चुअली अभेद्य' परिमीटर (परिधि) सिस्टम जल्द ही पूरी तरह से चालू हो जाएगा।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने कहा, 'पठानकोट एयरबेस में इंटीग्रेटेड परिमिटर सिक्यॉरिटी सिस्टम (IPSS) का पायलट प्रोजेक्ट नवंबर-दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद इसे अन्य बेस पर शुरू किया जाएगा।'
हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने 'सेंसिटिव और हाई-रिस्क' वाले अपने 23 एयरबेस पर IPSS इंस्टॉल करने की योजना बनाई है। IPSS एक कम्प्रिहेंसिव मल्टी-सेंसर, मल्टी लेयर्ड, हाइ-टेक सर्विलांस और इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली) है। वहीं, दूसरी ओर इसके साथ ही वायुसेना अपने अन्य 19 एयर स्टेशनों के लिए भी 'इलेक्ट्रिक स्मार्ट पावर फेंसेस' के मामले को आगे बढ़ा रही है।
क्या है IPSS
IPSS यानी इंटीग्रेटेड परिमिटर सिक्यॉरिटी सिस्टम में विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रो-ऑप्टिक और मोशन-डिटेक्शन सेंसर, सर्विलांस और थर्मल कैमरों के साथ एक 'स्मार्ट परिमिटर फेंस' शामिल है। इसके साथ एक कमांड और कंट्रोल सेंटर है, जिसे 24 घंटे लाइव विडियो फीड मिलती है, जिससे किसी भी तरह के हमले का तुरंत पता चल जाएगा।
एक सूत्र का कहना है कि IPSS इलेक्ट्रॉनिक आंख की तरह है, जो घुसपैठ का पता चलते ही उचित जवाबी उपाय शुरू करने में मदद करेगा। चूंकि एयरबेस का एरिया काफी बड़ा होता है। इसके चलते यह संभव नहीं है कि कोई व्यक्ति इसके हर जगह पर नजर रख सके। ऐसे में IPSS एक बेहतर और प्रभावी उपाय है।