लखनऊ
लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू किए जाने को सोमवार को योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। लखनऊ में सुजीत पांडेय की कमिश्नर पद पर तैनाती की गई है, वहीं आलोक सिंह नोएडा के पहले पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं। इस नई व्यवस्था के लागू होने पर हम आपको बता रहे हैं पुलिस कमिश्नरी सिस्टम से जुड़ी सभी खास बातें:
पुलिस कमिश्नर को मिलेगी मैजिस्ट्रेट की ताकत
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं। इस पद पर आसीन अधिकारी आईएएस होता है। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक आईपीएस होता है।
कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद जिले के डीएम के पास अटकी रहने वाली तमाम अनुमति की फाइलों का झंझट खत्म हो जाएगा। कानूनी भाषा में कहे तो सीआरपीसी की मैजिस्ट्रियल पावर वाली जो कार्रवाई अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी वे सभी ताकतें पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगी।
कई जोन में बंटेगा महानगर
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस के साथ ही जनता को भी बड़ी राहत मिलेगी। इस व्यवस्था के तहत महानगर में पुलिस कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है और एडीजी लेवल के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दी जाती है। अब नई व्यवस्था लागू होने के बाद, महानगर को कई जोन में बांटा जाएगा। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होगी, जो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की तरह उस जोन को डील करेगा। इसके अलावा 2 से 4 थानों पर सीओ की तरह एक एसीपी तैनात होंगे।
पुलिस प्रणाली के तहत दो जिलों में बंटेगा लखनऊ
नई पुलिस व्यवस्था के तहत लखनऊ को लखनऊ नगर एवं लखनऊ ग्रामीण नामक पुलिस जिलों में बांटा गया है। लखनऊ नगर में कुल 40 थाने और लखनऊ ग्रामीण में 5 थाने शामिल होंगे।
लखनऊ (शहर) के अधीन आने वाले थानों के नाम
आलमबाग, अलीगंज, अमीनाबाद, आशियाना, बाजारखाला, बंथरा, चौक, कैंट, चिनहट, गोमती नगर, गुडंबा, गाजीपुर, गौतमपल्ली, गोसाईगंज, हसनगंज, हजरतगंज, हुसैनगंज, इंदिरानगर, जानकीपुरम, कैसरबाग, कृष्णानगर, महानगर, मानक नगर, मड़ियांव, नाका, पारा, पीजीआई, सआदतगंज, सरोजनी नगर, तालकटोरा, ठाकुरगंज, विभूतिखंड, विकास नगर, वजीर गंज, काकोरी, नगराम, महिला थाना, मोहनलाल गंज, सुशांत गोल्फसिटी, गोमती नगर विस्तार
लखनऊ (ग्रामीण) के अधीन आने वाले पुलिस थाने
बक्शी का तालाब, इटौंजा, मलिहाबाद, निगोहा, माल
अब पुलिस कमिश्नर को मिलेंगे ये अधिकार
कानूनी भाषा में समझें तो सीआरपीसी की मैजिस्ट्रियल पावर वाली कार्रवाई अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी, वह अब पुलिस कमिश्नर को मिल जाएगी। सीआरपीसी की धारा 107-16, 144, 109, 110, 145 का क्रियान्वयन पुलिस कमिश्नर कर सकेंगे।
कमिश्नर सिस्टम से शहरी इलाकों में भी अतिक्रमण पर अंकुश लगेगा। अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का आदेश सीधे तौर पर कमिश्नर दे सकेगा और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा।
पुलिस कमिश्नर को गैंगस्टर, जिला बदर, असलहा लाइसेंस देने जैसे अधिकार होंगे। अभी तक ये सभी अधिकार जिलाधिकारी के पास थे।
कमिश्नरी सिस्टम में धरना प्रदर्शन की अनुमति देना और न देना भी पुलिस के हाथों में आ जाएगा।
जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण में भी पुलिस को अधिकार मिलेगा। पुलिस कमिश्नर सीधे लेखपाल को पैमाइश का आदेश दे सकता है। कानूनविदों की मानें तो इससे जमीन से संबंधित विवाद का निस्तारण जल्दी होगा।
दंगे के दौरान लाठीचार्ज होना चाहिए या नहीं, अगर बल प्रयोग हो रहा है तो कितना बल प्रयोग किया जाएगा इसका निर्णय भी पुलिस ही करेगी, अब तक यह फैसला जिला प्रशासन के पास होता था।
जानें, अब क्या होगी हायरार्की
पुलिस आयुक्त/ पुलिस कमिश्नर (सीपी)
संयुक्त आयुक्त/ जॉइंट कमिश्नर (जेसीपी)
डेप्युटी कमिश्नर (डीसीपी)
सहायक आयुक्त (एसीपी)
पुलिस इंस्पेक्टर (पीआई)
सब-इंस्पेक्टर (एसआई)
पहले भी कमिश्नर सिस्टम लागू करने का बना था प्लान
इससे पहले 1976-77 में प्रयोग के तौर पर कानपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कोशिश की गई था। इसके बाद साल 2009 में प्रदेश की मायावती सरकार ने भी नोएडा और गाजियाबाद को मिलाकर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी की थी। मायावती सरकार में तो ट्रांस हिंडन और ग्रेटर नोएडा समेत चार क्षेत्रों में जॉइंट कमिश्नर तैनात कर पुलिसिंग का खाका तक तैयार हो गया था, लेकिन आईएएस लॉबी के अड़ंगे और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से लागू नहीं किया जा सका था।