नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाये दोषी विनय कुमार की याचिका खारिज कर दी। विनय कुमार ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने विनय कुमार शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें दया याचिका खारिज करने के आदेश की न्यायिक समीक्षा का कोई आधार नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति के सामने शर्मा की मेडिकल रिपोर्ट सहित सारी सामग्री पेश की गई थी और उन्होंने दया याचिका खारिज करते समय सारे तथ्यों पर विचार किया था। शीर्ष अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर शर्मा की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है और कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार उसकी सेहत ठीक है।
सुप्रीम कोर्ट में दोषी विनय शर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट ए. पी. सिंह ने अपने मुवक्किल की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाए थे। इस पर अदालत और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीखी आलोचना की, जो इस मामले में केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
सिंह ने दोषी विनय की मानसिक स्थिति के संबंध में भी दलील दी। उन्होंने कहा कि विनय मानसिक तौर पर बीमार चल रहा है और उसका इलाज भी हो रहा है। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान के 2014 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मानसिक बीमारी से पीड़ित दोषियों की मौत की सजा को बदल दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने दलीलें देते हुए कहा, 'उनकी नियमित रूप से जांच की गई, जो नियमित जांच का हिस्सा है। जेल मनोचिकित्सक है, जो हर किसी की जांच करता है। ताजा स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य अच्छा पाया गया है।'
निचली अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक के लिये चारों दोषियों, मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार को फांसी देने पर रोक लगा दी थी। ये चारों दोषी इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं। निर्भया से 16-17 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और दरिंदगी के बाद उसे सड़क पर फेंक दिया था।
निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। इन छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी किशोर था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया।