नई दिल्ली
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से सोमवार को भारतीय राजनयिक गौरव अहलूवालिया ने मुलाकात की। लेकिन, जिस की आशंका थी वह बात सच निकली। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और उसके दबाव में कुलभूषण जाधव भारतीय राजनयिक से ज्यादा कुछ बोल नहीं सके। वह पाकिस्तान के इतने दबाव में थे कि अपनी कोई बात कहने की बजाय पाक की लाइन को ही बोलते रहे। बॉडी लैंग्वेज से भी साफ था कि वह दबाव में हैं।
मार्च, 2016 में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से यह पहला मौका था, जब उन तक राजनयिक पहुंच हुई और भारतीय अधिकारी ने उनसे मुलाकात की। जाधव ने जिस तरह से 2017 में मां और पत्नी से मुलाकात के दौरान अपने मन की कोई बात कहने की बजाय पाकिस्तान के नैरेटिव को दोहराया था, ऐसा ही कुछ भारतीय अधिकारी से मुलाकात के दौरान भी नजर आया। पाकिस्तान दावा करता रहा है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी थे और जासूसी एवं आतंकवाद के मकसद से पाकिस्तान में दाखिल हुए थे। बातचीत के दौरान कुलभूषण जाधव भी एक तरह से पाकिस्तानी नैरेटिव की लाइन पर ही बोलते दिखे।
साफ नजर आ रहा था कि उन पर भारी दबाव है और वह पाकिस्तान की भाषा में ही बोलने को मजबूर थे। भारत का मानना है कि पाकिस्तान को इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के प्रावधानों को मानते हुए निजी तौर पर कुलभूषण जाधव कौंसुएलर एक्सेस देनी चाहिए। उनसे मुलाकात के दौरान पाकिस्तान की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए।
कुलभूषण जाधव पर दबाव की बात करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'अभी हमें विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है। यह स्पष्ट है कि कुलभूषण जाधव भारी दबाव में थे और उन्हें वही कहने को मजबूर होना पड़ रहा था, जिससे पाकिस्तान के फर्जी दावों को मजबूती मिले। राजनयिक से पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद हम आगे की योजना पर फैसला लेंगे।'