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नई ऊंचाई, आर्थिक सहयोग, यह बोले राजपक्षे

नई दिल्ली
भारत के तीन दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत के साथ अपने देश के संबंधों को 'बेहद ऊंचाई' पर ले जाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोटबाया के बीच आर्थिक व सुरक्षा सहयोग सहित व्यापक द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई। राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनका पहला विदेश दौरा है जो दिखाता है कि भारत के साथ संबंधों को वह कितना महत्व देते हैं।

श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा कि इस दौरे से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं। गोटबाया ने कहा, 'राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल में मैं भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को बहुत ऊंचे स्तर पर ले जाना चाहता हूं। ऐतिहासिक रूप से और राजनीतिक तौर पर भी हमारे बीच दीर्घकालीन संबंध रहे हैं।'

उधर, बैठक के बाद पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत का श्रीलंका को अटल समर्थन है। पीएम मोदी ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि हम एक-दूसरे की सुरक्षा और चिंताओं को लेकर संवेदनशील रहें।

भारत दौरे पर यह है कार्यक्रम
राष्ट्रपति बनने के बाद गोटबाया ने सबसे पहले भारत का दौरा किया है। राजपक्षे के साथ उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी दौरे पर है जिसमें विदेश सचिव रविनाथा आर्यसिन्हा और राजकोष सचिव एस आर अट्टेगैले शामिल हैं। राजपक्षे का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक रूप से स्वागत किया गया। उन्होंने राज घाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय चर्चा की। वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ भी बैठक करेंगे।

भारत, चीन को कैसे श्रीलंका के संबंध
यह दौरा ऐसा समय में हो रहा है जब पिछले कुछ सालों में इस द्वीप देश पर चीन का प्रभाव बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि नए पीएम और गोटबाया के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे ने (2005-2015) राष्ट्रपति रहते हुए चीन के साथ संबंधों को मजबूती करने पर ध्यान दिया था। हालांकि, श्रीलंका यह कहता आया है कि भारत हमारा संबंधी है जबकि चीन हमारा व्यापारिक साझीदार है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति का भारत दौरा सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है और यह भारत और श्रीलंका के संबंध की नई दिशा तय कर सकता है । बता दें कि श्रीलंका के चुनाव के परिणाम के बाद पीएम मोदी ने गोटबाया को फोन कर बधाई दी। उन्होंने गोटबाया को भारत दौरे का न्योता दिया था। भारत ने नई सरकार के साथ समन्वय स्थापित करने की दिशा में तत्काल पहल की और विदेश मंत्री एस जयशंकर को गोटबाया के राष्ट्रपति घोषित होने के अगले दिन ही कोलंबो भेजा।

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