छत्तीसगढ़

धान खरीदी पर विधानसभा में विपक्ष ने दिखाई एक जुटता जमकर हंगामा

रायपुर
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन धान खरीदी के मामले में विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए सरकार के खिलाफ घेरेबंदी करते हुए किसान विरोधी निर्णय पर ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से किसानों की खस्ता आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए जमकर हंगामा किया। सरकार की ओर से खाद्य मंत्री के बदले जब सहकारिता मंत्री जवाब देने के लिए खड़े हुए तो भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि यह सदन का अपमान है। अध्यक्ष बार-बार सत्ता-विपक्ष के सदस्यों को समझाईश देते रहे लेकिन सदन में जमकर नारेबाजी हुई जिसके चलते सदन की कार्रवाई बाधित होती रही। लेकिन विपक्ष के दबाव के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य करते हुए इस पर चर्चा की अनुमति प्रदान कर दी।

विधानसभा में श्रद्धासुमन कार्यक्रम के बाद भाजपा के शिवरतन शर्मा, छजकां के धरमजीत सिंह और बसपा के केशव चंद्रा ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसानों का धान समर्थन मूल्य पर नहीं बिक पा रहा है। सरकार ने एक नवम्बर से धान खरीदी को बढ़ाकर एक दिसम्बर कर दिया है। जिसके चलते किसान बिचौलियों को धान बेचने मजबूर हो रहे हैं। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में शादी-ब्याह होने तथा कर्ज से लदे होने के कारण किसान12 सौ रुपए से लेकर 15 सौ रुपए प्रति क्विंटल में धान बेच रहे हैं। इस बीच विपक्ष ने नारेबाजी करना शुरू कर दिया। इसको लेकर सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक हुई।

सदन में आज खाद्यमंत्री मो.अकबर के बदले सरकार की ओर से सहकारिता मंत्री जब जवाब देने खड़े हुए तो बृजमोहन ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह सदन का अपमान है। उन्हें अध्यक्ष के निर्देश के बावजूद बोलने दिया जा रहा है। छजकां के धरमजीत सिंह ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री उपस्थित हैं वे इस संबंध में सरकार की स्थिति स्पष्ट करें। अध्यक्ष चरणदास महंत ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक का हवाला देते हुए कहा कि आज पटल पर अनुपूरक बजट रखा जाएगा। कल संविधान दिवस पर चर्चा होगी। वे बार -बार समझाईश देते रहे लेकिन उत्तेजित विपक्ष नहीं माना। इस बीच भाजपा के सभी विधायकों ने जमकर नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष ने भी इस अवसर पर सरकार को आड़े हाथों लिया। 20 मिनट से अधिक तक सदन में शोर-शराबे के पश्चात स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की अनुमति दे दी। नेता प्रतिपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव में कहा कि प्रदेश में 60 प्रतिशत से अधिक धान की कटाई हो चुकी है। किसान बदहाल हैं। वे अपनी फसल 15 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचने के लिए मजबूर हैं। किसान विरोधी नीति के कारण किसान अराजकता की स्थिति में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को 6 हजार रुपए प्रति एकड़ किसान सम्मान निधि प्रदान करने का निर्णय लिया गया, लेकिन सरकार पूरी औपचारिकता नहीं कर रही है। दीर्घकालीन ऋण भी माफ नहीं किए गए हैं। किसान विरोधी नीति के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक चर्चा जारी थी।

 

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