देश-विदेशों में बिहार के इस जिले के पेड़े की धूम, सालाना 20 करोड़ का कारोबार

खगड़िया
देश और विदेशों में है बिहार के इस जिले के पेड़े की धूम। सालाना 20 करोड़ रुपये का है यहां पेड़े का कारोबार। जी हां यहां बात हो रही है। खगड़िया जिले के पेड़ा की। यहां के पेड़े की अपनी अलग पहचान है। बिहार ही नहीं देश के कई शहरों के अलावा नेपाल में भी यहां के पेड़े की मांग है।
 
झारखंड के देवघर, पश्चिम बंगाल के सिल्लीगुड़ी, असम के गुवाहाटी, दिल्ली आदि जगहों पर इसकी आपूर्ति होती है। केवल करूआ मोड़ के पेड़ा का सालाना कारोबार लगभग 18 करोड़ रुपये है।

अब तो शहर के आवास बोर्ड, धमारा घाट, महेशखूंट और मानसी सहित अन्य कई जगहों पर इस कारोबार का विस्तार हुआ है। वर्तमान में  यह कारोबार 20 करोड़ से अधिक का हो गया है। खास बात यह कि  जो भी आते हैं, यहां के पेड़ा का स्वाद चखना नहीं भूलते। बताया गया कि एनएच 107 स्थित करुआमोड़ चौक में पेड़ा का कारोबार 35 साल से हो रहा है।

खगड़िया में पेड़ा के कारोबार से सात सौ से अधिक युवाओं व अन्य को रोजगार मिला है। केवल चौथम प्रखंड के करुआमोड़ में ही 50 से अधिक पेड़ा की दुकानें है। एक दुकान में कम से कम दस लोगों को रोजगार मिला है। वहीं पशुपालकों से दूध लेकर पेड़ा दुकानों तक दूध पहुंचाने में भी दो सौ से अधिक लोग जुड़े हैं। प्रत्येक दिन चौथम के अलावा बेलदौर, गोगरी आदि प्रखंड क्षेत्र से दूध करुआमोड़ पहुंचता है। प्रतिदिन यहां पांच हजार लीटर से अधिक दूध का पेड़ा केवल करूआ मोड़ पर बनता है। एक क्विंटल में लगभग 25 किलो पेड़ा बनने की बात कारोबारियों ने बताई। प्रतिदिन लाखों रुपये का कारोबार हो रहा है। यहां का पेड़ा दो सौ से लेकर 250 रुपये प्रति किलो मिलता है।
 
करुआमोड़ के पेड़ा को 80 के दशक में पहचान मिली थी। बताया जाता है कि एक छोटे से दुकान में पिपरा निवासी शंकर साह ने पेड़ा बनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद करुआमोड़ निवासी गुजाय साह ने इस कारोबार को शुरू किया। पेड़ा की मिठास और खुशबू से लोगों ने इसे पसंद करना शुरु किया। इसके बाद से पेड़ा की मांग बढ़ने लगी।

यहां के पेड़ा का स्वाद चखना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नहीं भूलते। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान आदि यहां के पेड़े का स्वाद चखकर इसकी तारीफ कर चुके हैं।

करूआमोड़ के पेड़ा कारोबारी सदानंद साह, त्रिवेणी साह, डिंपल सिंह, मो. लुकवान आदि ने बताया कि करूआ मोड़ से प्रतिदिन करीब पांच हजार लीटर दूध की खपत पेड़ा बनाने में होती है। एक दिन में करीब 25 क्विंटल पेड़े की खपत होती है। इस हिसाब से प्रतिदिन पांच लाख और महीने में डेढ़ करोड़ का कारोबार होता है। यदि सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो यह कारोबार और भी अधिक तेजी से बढ़ सकता है। इन कारोबारियों का कहना था कि सरकारी प्रोत्साहन मिले अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल सकती है। प्रोत्साहन नहीं मिलने से कारोबारी निराश हैं।

खगड़िया के पेडे की डिमांड़ दर्जनों शहरों में है। नेपाल से लेकर झारखंड के देवघर, पश्चिमी बंगाल के सिल्लीगुड़ी सहित गोहाटी, दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों में जाती है। बिहार के कमोवेश सभी जिलों में यहां का पेड़ा भेजा जा रहा है। जहां लोग चाव से यहां  का पेड़ा खाते हैं।

खगड़िया के डीएम अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि यदि कोई कारोबारी लोन लेकर पेड़ा व्यवसाय को बढ़ाना चाहे तो वे आवेदन करे। जरूर आर्थिक मदद मिलेगी।

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