नई दिल्ली
सुस्ती के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को एक और झटका लगा है. दरअसल, चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में भारत की विकास दर में बड़ी गिरावट आई है. अब जीडीपी का आंकड़ा 4.5 फीसदी पहुंच गया है. यह सात साल की सबसे बड़ी गिरावट है. इससे पहले मार्च 2013 तिमाही में देश की जीडीपी दर इस स्तर पर फीसदी पर थी. बता दें कि चालू वित्त वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही में जीडीपी की दर 5 फीसदी पर थी. इस लिहाज से सिर्फ 3 महीने के भीतर जीडीपी की दर में 0.5 फीसदी की गिरावट आई है.
पिछली तिमाही में किस सेक्टर का क्या हाल?
चालू वित्त वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर महज 0.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ा. एक साल पहले इसी अवधि में यह सेक्टर 12.1 फीसदी की दर से बढ़ा था. इसके अलावा एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री और फिशिंग सेक्टर में 2 फीसदी की दर से बढ़त दर्ज की गई थी. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ये सेक्टर 5.1 फीसदी की दर से आगे बढ़े थे. कंस्ट्रक्शन सेक्टर की बात करें तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5.7 फीसदी की दर से बढ़ा था. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 9.6 फीसदी की तेजी आई थी.
हालांकि माइनिंग सेक्टर में थोड़ी तेजी देखने को मिली और यह पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 0.4 फीसदी की तुलना में 2.7 फीसदी की दर से आगे बढ़ा. इसी तरह इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई समेत अन्य यूटिलिटी सेक्टर में 8.6 फीसदी की दर से बढ़त दर्ज की गई है. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 6.7 फीसदी का था. जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के अनुकूल है, जो महज 3.6 फीसदी रही थी, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा 5.1 फीसदी था.
क्या है जीडीपी का आंकड़ा?
किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे अहम पैमाना जीडीपी के आंकड़े होते हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति क्या है और आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था की क्या दिशा होगी. भारत में जीडीपी आंकड़ों की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही के आधार पर होती है.
ये आंकड़े मुख्य तौर पर आठ औद्योगिक क्षेत्रों- कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र के होते हैं. इसके बाद सीएसओ जो आंकड़े जारी करता है उसे ही आधिकारिक माना जाता है. इन आंकड़ों को अलग-अलग मंत्रालय से सरकारी संस्था केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) जुटाता है. इसके बाद सीएसओ इसकी गणना कर आंकड़े जारी करता है. जीडीपी के यही आंकड़े आधिकारिक माने जाते हैं.
जीडीपी का आपसे क्या है कनेक्शन?
जीडीपी के आंकड़ों का आम लोगों पर भी असर पड़ता है. जीडीपी के आंकड़ों में गिरावट की वजह से औसत आय कम हो जाती है और लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं. इसके अलावा नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार भी सुस्त पड़ जाती है. वहीं लोगों का बचत और निवेश भी कम हो जाता है. इन हालातों में लोग खरीदारी कम कर देते हैं तो कंपनियां प्रोडक्शन घटा देती हैं. प्रोडक्शन घटने की वजह से छंटनी की आशंका बढ़ जाती है.