नई दिल्ली
पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में किए गए प्रदर्शनों के दौरान हुए उपद्रव के 10 मामलों में भारी तादाद में बाहरी लोग शामिल थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है। अब तक की जांच में शामिल रहे लोकल पुलिस के अफसर बुधवार को एसआईटी की मीटिंग में पहुंचे थे। उनसे उपद्रव के दौरान के हालात और अब तक की जांच के इनपुट लिए गए।
इसके अलावा मुकदमों की फाइलों को टीमों में बांट दिया गया है, जो इनकी स्टडी में जुट गई हैं। अब उपद्रव के दौरान इलाकों में एक्टिव रहे मोबाइल फोन के डंप डेटा और विडियो फुटेज का इंतजार है। अगली कड़ी में इनकी पड़ताल की जाएगी। दिल्ली में 13 से 20 दिसंबर तक उपद्रव के 10 मुकदमे दर्ज हुए थे। जांच से जुड़े अफसरों ने मंगलवार और बुधवार को केस फाइलों को खंगाला और जांच से जुड़े अफसरों से बात की। इसमें माहौल बिगड़ने वाले इलाकों में भारी तादाद में बाहरी लोगों के सक्रिय होने की बात भी सामने आई।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई थी आगजनी
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई आगजनी और पत्थरबाजी की घटना में ओखला और बाटला हाउस के आसपास रहने वाले लोग शामिल थे। जामा मस्जिद से दरियागंज तक पैदल मार्च के दौरान उपद्रव करने वालों में यमुनापार के सीलमपुर और मुस्तफाबाद के लोग भी शामिल थे। नॉर्थ-ईस्ट जिले के सीलमपुर, मुस्तफाबाद और जाफराबाद के तीन मामलों में गाजियाबाद के लोनी और पुरानी दिल्ली के उपद्रवियों के भी शामिल होने की बात सामने आई है।
शाहदरा जिले के सीमापुरी थाना इलाके में हुई पत्थरबाजी में गाजियाबाद के शहीद नगर के लोग शामिल थे। 10 मुकदमों में अरेस्ट 64 में बाहरी इलाकों के लोग भी हैं। एसआईटी के लिए अब इन बाहरी लोगों की पहचान करना एक चुनौती है। जांच से जुड़े अफसरों के मुताबिक, मोबाइल के डंप डेटा आने के बाद इस पर काम किया जाएगा। सभी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स से एक-दो दिन में उपद्रव के दौरान उन इलाकों में एक्टिव मोबाइल फोन के डेटा मांगे गए हैं।
उपद्रव के दौरान 100 लोग जख्मी
उन्होंने बताया कि इनसे उन मोबाइल नंबरों को छांटा जाएगा, जो आसपास के टावरों में बहुत ज्यादा एक्टिव नहीं रहते हैं। पुलिस ने कई चैनलों से फुटेज मुहैया कराने को लेटर लिखे हैं। अब एसआईटी प्राइवेट टीवी चैनलों से जांच में सहयोग करने के लिए उपद्रव प्रभावित इलाकों की फुटेज की मांग करेगी। मोबाइल से विडियो बनाने वाले लोगों से भी इन्हें एसआईटी से शेयर करने का अनुरोध किया जाएगा।
एसआईटी ने कहा कि जामिया में हुई आगजनी और पत्थरबाजी की घटना में ओखला और बाटला हाउस के आसपास रहने वाले लोग शामिल थे। उपद्रव के मामलों के दौरान करीब 100 लोग जख्मी हुए थे, जिनमें 40 के करीब पुलिस वाले थे। उनकी एमएलसी हुई थी, इसलिए एसआईटी सभी के बयान दर्ज करेगी। पब्लिक के लोगों से पूछा जाएगा कि उपद्रव के दौरान आप वहां क्या कर रहे थे/ इनकी भूमिका चेक करने के बाद अगर वे राहगीर होंगे तो उन्हें केसों में गवाह बनाया जा सकता है।
नेताओं को बुलाएगी एसआईटी
कई मामलों में राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के नाम भी एफआईआर में दर्ज हैं। ऐसे में एसआईटी अपनी जांच के दौरान इन नेताओं को नोटिस देकर जांच में शामिल होने के लिए बुलाएगी। इन नेताओं से पूछताछ की जाएगी और उपद्रव के दौरान इनकी भूमिका भी देखी जाएगी। नेता शामिल हुए, तो उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी।