नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाके फिर एक बार गैस चैंबर में तब्दील हो चुके हैं, जिसकी वजह से यहां फिर एयर इमर्जेंसी लगा लगा दी गई है। प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों का घर में रहना भी दुश्वार हो गया है। लोगों की समझ नहीं आ रहा कि सांस लें आखिर कैसे? गुरुवार को भी हालातों में सुधार नहीं हैं। आज भी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में प्रदूषण (पीए 2.5) का स्तर 500 के पार है। यह सुरक्षित स्तर से पांच गुना ज्यादा हैं।
15 नवंबर तक नहीं सुधरेंगे हालात
इस घुटती हवा से फिलहाल राहत मिलने की संभावना भी नहीं है। प्रदूषण का पूर्वानुमान करने वाली एजेंसियों के अनुसार 15 नवंबर तक तो दिल्ली-एनसीआर इसी तरह घुटते रहेंगे। हालांकि पराली का धुंआ गुरुवार से कुछ कम हो सकता है। इससे पहले 2016 के नवंबर को सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता था। उस दौरान दिवाली के बाद प्रदूषण स्तर लगातार 13 से 14 दिनों तक गंभीर श्रेणी में रहा। लेकिन 2019 में नवंबर उस रेकॉर्ड को भी तोड़ता दिखाई दे रहा है। प्रदूषण का यह स्पेल इसलिए अधिक गंभीर माना जा रहा है क्योंकि इस समय लगातार ऐसे आसार चल रहे है जब लोग सांस नहीं ले पा रहे हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार सेकेंड्री पार्टिकल भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं जिसकी वजह से इस स्मॉग में बाहर रहना लोगों के लिए बीमारियों को न्यौता देना है। सीपीसीबी और सफर के अनुसार पीएम 2.5 का जहरीलापन काफी बढ़ गया है। हवा में कई तरह की गैस आपस में रिएक्शन कर सेकेंड्री पार्टिकल बना रही हैं। जिसकी वजह से लोगों को बाहर रहने पर काफी अधिक परेशानी आ रही है।