नई दिल्ली
दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी घोषित हुए 27 साल बीत चुके हैं. 1993 में 69वें संविधान संशोधन के जरिये दिल्ली को आंशिक राज्य का दर्जा देते हुए इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT-Delhi) घोषित किया गया था. इसके बाद दिल्ली का सातवां विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि पिछले दस महीने में दिल्ली में वोटर्स की संख्या में असाधारण बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
दिल्ली में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 1.47 करोड़ वोटर्स नई सरकार चुनने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. आकस्मिक ढंग से दिल्ली में पिछले 10 महीनों में मतदाताओं की संख्या में 9.87 लाख की वृद्धि हुई है. इसके उलट लोकसभा चुनाव 2009 और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 के बीच यह बढ़ोतरी 8.67 लाख थी.
मतदाताओं की संख्या में वृद्धि
दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ साथ एक समृद्ध उद्योग का शहर भी है जहां देश के अन्य हिस्सों से बड़ी संख्या में प्रवासियों का यहां आना होता है और महानगर में प्रवासी आबादी में वृद्धि का मतदाताओं की संख्या में वृद्धि से गहरा संबंध है.
दिल्ली ने 1993 से अब तक सात लोकसभा और सात विधानसभा यानी कुल 14 चुनाव देखे हैं. 1993 में दिल्ली में मतदाताओं की संख्या 58.5 लाख थी जो कि 2020 में बढ़कर 1.47 करोड़ हो गई है. हालांकि, मतदाताओं की संख्या में हुई इस वृद्धि में निरंतरता नहीं रही है. DIU ने 1993 से दिल्ली में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में मतदाता संख्या में हुए बदलाव का विश्लेषण किया.
उपरोक्त चार्ट दिल्ली में मतदाताओं की संख्या में हुए अस्थिर परिवर्तन को दर्शाता है. 1996 के लोकसभा चुनाव में राजधानी में मतदाताओं की संख्या में अधिकतम वृद्धि देखी गई. यानी 1996 में 1993 में हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यही नहीं, दिल्ली में 1993 और 2003 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या में नकारात्मक वृद्धि भी देखी गई. 1993 में जो नकारात्मक वृद्धि हुई वह 1991 के लोकसभा चुनाव की तुलना में थी.