नई दिल्ली
दिल्ली दंगों पर बुधवार को लोकसभा में हुई चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के एक-एक सवाल का जवाब दिया। उन्होंने दो टूक कहा कि दोषी चाहे किसी समुदाय या किसी भी पार्टी के हों, बख्शे नहीं जाएंगे। शाह के भाषण के दौरान कांग्रेस ने वॉक आउट किया। गृह मंत्री ने दिल्ली दंगों को सुनियोजित साजिश बताते हुए विपक्षी नेताओं के भड़काऊ बयानों का भी जिक्र किया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की रामलीला मैदान की रैली में 'सड़क पर निकलो, आर-पार की लड़ाई' के बयान का जिक्र किया तो वारिस पठान के '100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी' जैसे भड़काऊ भाषण की आलोचना की।
संपत्ति जलाने वालों की संपत्तियां जब्त करेंगे: शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने दंगों को दिल्ली के दूसरे हिस्सों में फैलने न देने और 36 घंटे के भीतर स्थिति नियंत्रित करने लेने के लिए दिल्ली पुलिस की भी पीठ थपथपाई। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी जैसे विपक्षी नेताओं के उन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि दिल्ली पुलिस ने समुदाय विशेष के खिलाफ कार्रवाई की है। गृह मंत्री ने दंगा पीड़ितों में हिंदू-मुसलमान किए जाने पर विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए कहा कि मारे गए लोग भारतीय थे। अमित शाह ने यह भी कहा कि दंगे के दौरान संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान की जा रही है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की संपत्तियां जब्त की जाएंगी। उन्होंने कहा कि दोषियों को ऐसी सजा दी जाएगी कि मिसाल बनेगी।
दिल्ली पुलिस की थपथपाई पीठ
शाह ने कहा, 'दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी, यह सवाल पूछा जा रहा है। विपक्ष को अधिकार है कि वह सरकार की आलोचना करे लेकिन जब दंगे की बात हो, जब पुलिस हिंसा को काबू करने का प्रयास कर रही हो तब वास्तविकता को समझना चाहिए। दिल्ली की जनसंख्या 1.7 करोड़ है। जहां दंगा हुआ वहां की आबादी 20 लाख है। मैं इसके लिए दिल्ली पुलिस को शाबाशी भी देना चाहता हूं कि 20 लाख लोगों के बीच हो रहे दंगे को दिल्ली के दूसरे हिस्से में नहीं फैलने दिया। दिल्ली के 4 प्रतिशत क्षेत्र और 13 प्रतिशत आबादी तक दंगे को सीमित रखा दिल्ली पुलिस ने।'
'36 घंटे में दंगे पर पुलिस ने काबू पाया'
दिल्ली पुलिस की पहली जिम्मेदारी थी हिंसा को रोकना। 24 फरवरी 2020 को 2 बजे के करीब पहली सूचना प्राप्त हुई और अंतिम सूचना 25 फरवरी रात 11 बजे। ज्यादा से ज्यादा 36 घंटे तक यह दंगे चले। मैं शाबाशी नहीं दे रहा हूं, सिर्फ दूसरा पक्ष रख रहा हूं। यह स्वीकारना पड़ेगा। 36 घंटे में ही स्थिति नियंत्रण में करने में दिल्ली पुलिस कामयाब हुई।
'दिल्ली में ट्रंप के कार्यक्रमों में नहीं गया'
सौगत राय और बाकी दूसरे सदस्यों ने मेरे बारे में भी सवाल उठाए। सवाल उठाइए लेकिन तथ्यों से छेड़छाड़ का कोई अधिकार नहीं है। कहा गया कि मैं ट्रंप के कार्यक्रम में बैठा था। वह कार्यक्रम मेरे क्षेत्र में हो रहा था, मैं वहां गया लेकिन तब शांति थी। मैं शाम 6 बजे तक दिल्ली आ गया। उसके बाद दूसरे दिन राष्ट्रपति भवन पर ट्रंप की अगवानी हुई, लंच हुआ, डिनर हुआ लेकिन मैं नहीं गया। पूरे समय मैं दिल्ली पुलिस के साथ बैठकर दंगों को कंट्रोल करने पर काम कर रहा था।
24 तारीख की शाम को 7 बजे, 25 को सुबह 8 बजे और 25 की शाम 6 बजे रिव्यू मीटिंग की। जब दंगे होते हैं तब किसकी क्या जिम्मेदारी होती है, यह नहीं देखते। मैंने ही अजित डोभाल से कहा कि आप जाइए और पुलिस का मनोबल बढ़ाइए। मैं इसलिए नहीं गया कि मेरे जाने से पुलिस मेरे पीछे लगती जबकि फील्ड में उनकी जरूरत थी।
'दिल्ली के सबसे घने और मिश्रित आबादी वाले इलाके में हुए दंगे'
दंगे इतनी जल्दी कैसे फैल गए, 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई….हमें पूर्वोत्तर दिल्ली की भौगोलिक स्थिति को समझना होगा। 61 वर्ग किलोमीटर में यह क्षेत्र है, देश के सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। तंग गलियां हैं। दिल्ली में सबसे ज्यादा मिली-जुली आबादी नॉर्थ ईस्ट में ही है। आपराधिक तत्व भी वहां काफी समय से सक्रिय रहे हैं। यूपी का बॉर्डर भी सटा हुआ है।
सीआरपीएफ नहीं भेजने के आरोप पर बोले- 23 को ही उतार दी थी CAPF
सीआरपीएफ भेजनी चाहिए थी, यह कहा गया। कुछ लोगों ने कहा कि मिलिटरी लानी चाहिए। 22 फरवरी को दिल्ली पुलिस की 17 कंपनी और सीएपीएफ की 13 कंपनियों यानी कुल 30 कंपनियों को तैनात किया। 24 तारीख को 40 अतिरिक्त, 15 को और 50 कंपनियां भेजी गईं। 28 तारीख से वहां लगातार 80 कंपनियां तैनात हैं।
'700 से ज्यादा एफआईआर, 2,647 गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए'
कुछ सदस्यों ने पूछा कि एफआईआर हुआ या नहीं? 27 तारीख से आज तक 700 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई, दोनों कम्यूनिटी के लोगों पर है। कुल 2,647 लोग हिरासत में लिए गए हैं या गिरफ्तार किए गए हैं। सीसीटीवी फुजेट का विश्लेषण हो रहा है। मीडिया और आम लोगों से भी अपील की गई है कि उनके पास जो भी फुटेज हो, उसे दिल्ली पुलिस को भेजे। अंकित शर्मा के मर्डर से भी उसी विडियो से पर्दा उठेगा, जिसको एक आम नागरिक ने भेजा है।
दंगाइयों की फेस आइडेंटिटी सॉफ्टवेयर से कर रहे पहचान
हम फेस आइडेंटिटी सॉफ्टवेयर के जरिए विश्लेषण कर रहे हैं। यह धर्म नहीं देखता है। 1100 से ज्यादा लोगों की पहचान कर ली गई है। 300 से ज्यादा लोग यूपी से दिल्ली में दंगा करने आए थे। यह बताता है कि यह गहरी साजिश थी। 24 फरवरी की रात को 10 बजे सबसे पहला काम यूपी की सीमा सील करने का किया गया।