नई दिल्ली
संशोधित नागरिकता कानून और उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मंगलवार को यहां रामलीला मैदान आ रहे कम से कम 185 विद्यार्थियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को दिल्ली के अलग अलग स्थानों से हिरासत में लेकर कई थानों में ले जाया गया है।
पहले जंतर मंतर पर जमा हुए थे छात्र
यंग इंडिया कोओर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर मंगलवार सुबह जंतर मंतर पर करीब 200 छात्र जमा हो गए हैं। पूर्व आईएएस अधिकारी और कार्यकर्ता के गोपीनाथन भी मौजूद थे। इसमें विभिन्न छात्र संगठनों के विद्यार्थी शामिल हैं।
बहरहाल, पुलिस ने सीएए और दिल्ली के सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ मार्च में हिस्सा लेने के लिए रामलीला मैदान जाने से छात्रों को रोक दिया। कई छात्रों ने दावा किया कि शहर के कई हिस्सों से सैकड़ों छात्रों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने पुष्टि की है कि 185 प्रदर्शनकारी छात्रों को हिरासत में लिया गया है।
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष बोले पहले ही मांगी थी अनुमति
पुलिन ने कहा कि छात्रों के पास संसद तक मार्च करने की इजाजत नहीं थी। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा, 'हमने 27 फरवरी को अनुमति के लिए आवेदन किया था। हमें सोमवार को सूचित किया गया था कि इजाजत रद्द कर दी गई है। आखिरी मिनट पर सूचित किया गया है।'
बालाजी मार्च की अगुवाई कर रहे थे। बाद में जंतर मंतर पहुंचे छात्रों के समूह ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा। कई छात्रों ने पोस्टर और बैनर थामे हुए थे, जिन पर लिखा था, 'शांति, न कि दंगे, ‘राजद्रोह कानून रद्द करो’, गरीब विरोधी को खारिज करो, मुस्लिम विरोधी को खारिज करो, डीयू सांप्रदायिक सौहार्द के साथ’ और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता बंद करो’।