नई दिल्ली
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद के तनाव की वजह से आने वाले त्योहारी सीजन में अखरोट महंगे हो सकते हैं। अखरोट की कीमत 900 रुपए किलो के पार चली गई है। पिछले एक महीने में कीमत 35 फीसदी से अधिक बढ़ गई है।
अगस्त में होती है अखरोट की कटाई
जानकारी के अनुसार घाटी में पाबंदियों के चलते वहां से अखरोट समेत अन्य सूखे मेवों, सेब और केसर की आपूर्ति एक माह से प्रभावित हो गई है। कश्मीर घाटी से यह सारी वस्तुएं जम्मू की थोक मंडी में आती हैं, जहां से पूरे देश में इनकी आपूर्ति की जाती है। अखरोट का फल अगस्त में पक जाता है, जिसके बाद इसकी कटाई शुरू हो जाती है। अभी इसमें 15 दिन की देरी हो गई है। इसके अलावा नियंत्रण रेखा से भी व्यापार बंद होने से किसानों और व्यापारियों दिक्कतें बढ़ गई हैं।
कश्मीर में अखरोट का 91 फीसदी उत्पादन
भारत का 91 फीसदी अखरोट का उत्पादन कश्मीर में होता है। देश के 70 फीसदी सेब का उत्पादन भी कश्मीर में ही होता है। इसके अतिरिक्त 90 फीसदी बादाम के साथ देश की 90 फीसदी चेरी और केसर भी कश्मीर से ही आती है। इनका एक साल का मूल्य करीब 7 हजार करोड़ रुपए है। साल 2016-17 में बागवानी क्षेत्र ने सेब के बगीचे और अन्य के तहत 7.71 करोड़ रुपए का रोजगार दिया था। घाटी में बागबानी उद्योग करीब 7,000 करोड़ रुपए का है। इसमें सबसे अधिक पैदावार सेब की है।
900 रुपए के पार पहुंची कीमत
व्यापारियों को मांग की पूर्ति करने के लिए अमेरिका और चिली से आयात करना पड़ रहा है। इस पर व्यापारियों को 132 फीसदी तक आयात शुल्क देना पड़ेगा। कश्मीर घाटी से आयात 90 फीसदी घटा है, जिससे जहां पहले कीमत 750 रुपए किलो थी वो अब बढ़कर 900 रुपए के पार चली गई हैं। नवरात्र, दिवाली जैसे त्योहारों पर देश के ज्यादातर हिस्सों में ड्राइफ्रूट की डिमांड में इजाफा हो जाता है। सड़क के रास्ते से इसकी आपूर्ति न होने के कारण व्यापारियों ने बाहर से इसको मंगाना शुरू कर दिया है।