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तिहाड़ जेल में हर रोज बर्बाद हो रहीं 20 से 25 हजार रोटियां

नई दिल्ली
एक ओर पाकिस्तान में आटा महंगा होने की वजह से रोटियों के लाले पड़े हैं, वहीं दूसरी ओर तिहाड़ जेल में हर रोज 20 से 25 हजार रोटियां बर्बाद हो रही हैं। इतनी रोटियों से 4 से 5 हजार और कैदियों का पेट भरा जा सकता है।

कई कैदियों के खाना नहीं खाने की वजह से रोटियों की बर्बादी का यह सिलसिला पिछले कई साल से ऐसे ही चल रहा है। लेकिन इस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। यही नहीं, कैदियों को दिए जाने वाले खाने में रोटियों के अलावा चावल और सब्जी भी बर्बाद हो रहे हैं।

बताया जाता है कि मौजूदा समय में तिहाड़ जेल में करीब 18 हजार कैदी बंद हैं। यह संख्या तिहाड़ के रोहिणी और मंडोली जेल की है। यहां बंद कैदियों के लिए हर दिन लंच और डिनर में बनने वाली 20 से 25 हजार रोटियां बर्बाद हो रही हैं, लेकिन इसपर कोई भी अफसर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहा है। वे जेल के नियम अनुसार ही हर कैदी का खाना बनाते हैं। फिर चाहे वह खाए या ना खाए।

जेल के एक अधिकारी का कहना है कि जो रोटियां बच जाती हैं, उन्हें बाद में सुखाया जाता है और बेच दिया जाता है या किसी संस्था को भेज दिया जाता है। लेकिन फिर भी ज्यादातर रोटियां खराब हो जाती हैं। जेल सूत्रों का कहना है कि जेल में प्रति कैदी के नियम के हिसाब से खाना बनता है। ना कि प्रत्येक कैदी की भूख के हिसाब से खाना बनाया जाता है।

असल समस्या यह है कि जेल में आने के बाद अधिकतर कैदियों की भूख मर जाती है। तनाव के चलते वह ठीक से खाना नही खा पाते हैं। ऐसे में खाना बच जाता है। जो कैदी जेल में सालों से रह रहे होते हैं, वह अपना खाना ठीक से खा लेते हैं।

आमतौर पर यहां की जेल नंबर-2 में कैदी खाना खा लेते हैं, क्योंकि इस जेल में सजायाफ्ता कैदी हैं। लेकिन अन्य तमाम जेल में खाना बच जाता है। रोटियों की बर्बादी का या सिलसिला 5 साल से भी ज्यादा समय से चला रहा है। बीच में से सुधारने की कोशिश की भी गई थी, लेकिन इस पर बहुत ज्यादा काम नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि हर दिन जेल में हजारों की संख्या में रोटियां बर्बाद हो जाती हैं या इधर-उधर फेंक दी जाती हैं।

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