एजुकेशन पर पैरंट्स के बढ़ते फोकस के कारण अब बच्चे अपनी टीनऐज तक यह डिसाइड कर लेते हैं कि उन्हें किस फील्ड में अपना करियर बनाना है और इसी को ध्यान में रखते हुए वे अपनी पर्सनल और मेंटल ग्रूमिंग पर फोकस करने लगते हैं। यहीं से डिमांड शुरू होती है प्रफेशनल बनने तक खुद को पर्फेक्ट बना लेने की। इस बारे में डेंटिस्ट्स का कहना है कि उनके पास अपने दांतों की शेप, कलर और लुक्स को ठीक कराने आनेवाले पेशंट्स में सबसे अधिक संख्या 18 से 35 साल के लोगों की है।
वक्त से साथ बदलती डिमांड्स
एक वक्त था जब डेंटिस्ट के पास लोग सिर्फ दांतों का दर्द दूर करने, गैपिंग भरवाने या दांत निकलवाने ही जाते थे लेकिन बदलते वक्त के साथ पेशंट्स की डिमांड भी बदल गई है। अब यंगस्टर्स डेंटिस्ट्स के पास अपनी स्माइल डिजाइन कराने पहुंच रहे हैं, दांतों को पर्फेक्ट शेप में लाने के लिए, मसूड़ों को गुलाबी दिखाने के लिए और ऐसी ही कई अलग-अलग फर्माइशों के साथ पहुंच रहे हैं।
स्माइल डिजाइनिंग प्रोग्राम
करियर को सही ऊंचाई और शेप देने की चाहत में यूथ डेंटिस्ट्स के पास अब सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्या लेकर नहीं पहुंच रहे हैं बल्कि स्माइल की डिजाइनिंग कराने भी आ रहे हैं। स्माइल डिजाइनिंग के बारे में डेंटिस्ट मनीषा चौधरी का कहना है कि यह प्रोग्राम ना केवल युवाओं को आकर्षक दिखने में मदद करता है बल्कि उनकी बढ़ती उम्र के असर को भी चेहरे पर झलकने से रोकता है।
बदलवा रहे हैं स्माइल प्रोफाइल
युवाओं को चाहिए कि उनके दांत ही सफेद ना दिखें बल्कि उनके मसूड़े भी पर्फेक्ट पिंक दिखने चाहिए। इस तरह की डिमांड के साथ युवा ट्रीटमेंट ले रहे हैं। युवाओं की जरूरत और उनकी डिमांड को देखते हुए डेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स उनकी पूरी की पूरी स्माइल प्रोफाइल ही चेंज कर रहे हैं।
स्माइल से गुड करियर
आज के वक्त में जिस तरह के जॉब प्रोफाइल बन रहे हैं, यंगस्टर्स के ऊपर अट्रैक्टिव दिखने का प्रेशर भी बढ़ रहा है। इसलिए युवा अपने लुक्स को लेकर खासे कॉन्शस हैं। फैशन, ऐक्टिंग, हॉस्पिटैलिटी, इमिग्रेशन, मीडिया जैसे सभी सेक्टर्स में आकर्षक लुक्स को वरीयता दी जाती है। फिर अगर मेडिकल प्रफेशन की बात करें तो डॉक्टर्स के अपने ऊपर भी फिट और अट्रैक्टिव दिखने का प्रेशर होता है। चेहरे के आकर्षण के लिए जरूरी है हमारी मुस्कुराहट भी आकर्षक हो।
इस तरह करते हैं स्माइल डिजाइनिंग
किसी भी पेशंट की स्माइल डिजाइनिंग से पहले एक्सपर्ट्स उनके पुराने फोटोज देखते हैं और पेशंट से उनकी रिक्वायरमेंट के अनुसार बात करते हैं। और स्माइल डिजाइनिंग में उनकी जरूरत के हिसाब से कितना स्कोप है यह बताते हैं। इसके बाद अगर जरूरत होती है तो सबसे पहले दांतों की ब्लीचिंग की जाती है। ताकि वे पहले की तुलना में अधिक साफ और क्लीन और वाइट दिख सकें।
गैप पर रहता है फोकस
स्माइल डिजाइनिंग के दौरान दांतों के बीच के गैप को भी फिल किया जाता है। इसके लिए इंडिरेक्ट विनियर्स टैक्नीक का उपयोग किया जाता है। यह दांतों पर की जानेवाली एक तरह की कैपिंग होती है, जो दांतो के बीच के महीन गैप को फिल करती है और लुक को पर्फेक्ट बनाती है।
दांतों पर पैचेज़
दिल्ली एनसीआर के कई क्षेत्रों में और साथ ही हरियाणा राज्य के कई इलाकों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। इस कारण उस क्षेत्र के युवाओं के दांतों में आमतौर पर ब्राउन कलर के पैचेज की समस्या होती है, इसे डेंटल फ्लोरॉसिस्ट कहते हैं। डेंटिस्ट्स इन पैचेज को दूर करने के लिए इंडिरेक्ट विनियर्स और ब्लीचिंग टैक्नीक का यूज करते हैं।
गम्स की रंगत में बदलाव
अक्सर युवाओं को इस बात की शिकायत रहती है कि उनके मसूड़े अपने फ्रेंड्स का कॉलीग्स के मसूड़ों की तुलना में काफी डार्क हैं या ब्राउन कलर के हैं। अब गम लिफ्ट और लेजर तकनीक की मदद से ना केवल मसूड़ों के कलर्स को ब्राइट किया जा रहा है बल्कि पर्फेक्ट स्माइल के लिए उन्हें अपलिफ्ट भी किया जा रहा है।