नई दिल्ली
देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस टैक्स फ्रॉड और विदेशी कर्मचारियों के गलत जानकारी के आरोपों को निपटाने के लिए भुगतान को तैयार हो गई है. यह जानकारी कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल जेवियर बेसेरा ने दी है. उन्होंने कहा कि इन्फोसिस अपने ऊपर लगे आरोपों को निपटाने के लिए आठ लाख डॉलर (करीब 5.6 करोड़ रुपये) का भुगतान करेगी.
बेसेरा ने कहा, " इन्फोसिस कर्मचारियों को कम भुगतान करने और टैक्स से बचने के लिए उन्हें गलत वीजा पर लाया." हालांकि, इन्फोसिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है. कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वह कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल के साथ समझौते पर पहुंच गई है.
इन्फोसिस ने कहा कि वह 13 साल से ज्यादा पुराने आरोपों पर समय, खर्च और लंबी मुकदमेबाजी से बचने के लिए समझौते पर पहुंची है. कंपनी ने कहा कि इस समझौते से मामला खारिज हो जाएगा. इन्फोसिस के मुताबिक सभी नियमों और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए वह मजबूत नीतियों और प्रक्रियाओं का पालन करती है.
क्या है इन्फोसिस पर आरोप
इन्फोसिस पर आरोप है कि 2006 से 2017 के बीच कंपनी के करीब 500 कर्मचारी एच -1 बी वीजा की जगह बी -1 वीजा पर राज्य में काम कर रहे थे. इस गलत वर्गीकरण के चलते इन्फोसिस कैलिफोर्निया पेरोल टैक्स का भुगतान करने से बच गई. इसमें बेरोजगारी बीमा, विकलांगता बीमा और रोजगार प्रशिक्षण टैक्स शामिल हैं. बता दें कि एच -1 बी वीजा में नियोक्ता को कर्मचारियों को मौजूदा स्थानीय वेतन का भुगतान करना जरूरी होता है.