अध्यात्म

जीवन में कैसा भी दुख और कष्ट आए, पर भक्ति मत छोडि़ए

प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नहीं सुन रहे हैं तो समझना प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है, इसलिए इंतजार करो और प्रार्थना करते रहो

भोपाल. एक सेठ के घर के बाहर भिखारी खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था। सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी, आ रही हूं। रोटी हाथ में थी पर फिर भी कह रही थी कि रुको, आ रही हूं। भिखारी भजन गाए जा रहा था और रोटी मांग रहा था।

सेठ यह सब देख रहा था, पर समझ नहीं पा रहा था कि हो क्या रहा है। आखिर उससे नहीं रहा गया और उसने सेठानी से बोला, रोटी हाथ में लेकर खड़ी हो, भिखारी बाहर खड़ा होकर भजन गाते हुए मांग रहा है और तुम उससे बार-बार यही कह रही हो कि आ रही हूं, तो उसे रोटी क्यों नहीं दे रही हो।

इस पर सेठानी बोली, हां रोटी दूंगी, पर क्या है ना, कि मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा है, अगर मैं उसको जल्दी रोटी दे दूंगी वह आगे चला जाएगा। मुझे उसका भजन और सुनना है।

यदि प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नहीं सुन रहे हैं तो समझना की उस सेठानी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है, इसलिए इंतजार करो और प्रार्थना करते रहो।

जीवन में कैसा भी दुख और कष्ट आए, पर भक्ति मत छोडि़ए। क्या कष्ट आता है तो आप भोजन करना छोड़ देते हैं, क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड़ देते हैं। नहीं ना फिर जरा सी तकलीफ आने पर आप भक्ति करना क्यों छोड़ देते हो।

कभी भी दो चीज़ मत छोडिय़े भजन और भोजन। भोजन छोड़ दोगे तो जिंदा नहीं रहोगे और भजन छोड़ दोगे तो कहीं के नहीं रहोगे। सही मायने में भजन और भोजन दोनों ही जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं।

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