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जापान के साथ बड़े मिशन मून की तैयारी में ISRO

 

 बेंगलुरु
इसरो के हौसले बुलंद हैं और अब चांद के बड़े मिशन पर काम करने की योजना बनाई जा रही है। इसरो का अगला मिशन मून पहले के मुकाबले बड़ा और बेहतर होगा। इस मिशन के दौरान चांद के ध्रुवीय क्षेत्र से सैंपल लाने पर काम किया जा सकता है।

चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध के इस मिशन को इसरो जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के साथ मिलकर अंजाम देगा। इसरो की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'इसरो और जाक्सा के वैज्ञानिक चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध करने के लिए एक संयुक्त सैटेलाइट मिशन पर काम करने की संभावना पर स्टडी कर रहे हैं।'

 चंद्रयान-2 मिशन पर भी पहले रूस की स्पेस एजेंसी रॉसकॉमोस के साथ मिलकर काम करने की योजना थी। यह तब की बात है जब सितंबर 2008 में पहली बार इसकी मंजूरी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दी थी। रूस की स्पेस एजेंसी मिशन के लिए लैंडर मुहैया कराने वाली थी। लेकिन किसी वजह से आगे बात नहीं बन सकी और भारत ने अपने बल पर मिशन को अंजाम दिया।
 इस साल जुलाई में जाक्सा ने क्षुद्रग्रह पर अपने हायाबुसा मिशन-2 को सफलतापूर्वक उतारा था। इस मुश्किल मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर जापान ने अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा मनवाया। जाक्सा का यह मिशन क्षुद्रग्रह पर शोध करने से संबंधित था। 

भारत और जापान के संयुक्त लुनर पोलर एक्सप्लोरेशन (एलपीआई) के दौरान चांद पर रोवर भेजने की योजना बनाई जा रही है। अगले कुछ सालों में चांद से नासा के मिशन की वापसी के बाद इसको अंजाम दिया जाएगा। वैसे नासा एक बार फिर चांद पर इंसान को भेजने पर गौर कर रहा है जबकि इसरो-जाक्सा का संयुक्त मिशन रोबॉटिक मिशन होगा। 2022 में भारत की स्पेस में इंसानी मिशन भेजने की योजना है। उसके बाद 2024 में इसरो और जाक्सा के संयुक्त मिशन को अंजाम देने की उम्मीद है।

भारत और जापान के संयुक्त मिशन मून की योजना को 2017 में उस दौरान सार्वजनिक किया गया था, जब बेंगलुरु में विभिन्न स्पेस एजेंसियों की एक मीटिंग हुई थी। जब 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने जापान का दौरा किया था तो वह अंतरसरकारी चर्चा का भी हिस्सा था।

वैसे अगर दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग हो जाती तो इससे संयुक्त परियोजना को आगे बढ़ाने में और मदद मिलती। लेकिन इसरो के सूत्रों का कहना है कि अभी भी 'बहुत संभावना' है और इसरो एवं जाक्सा के वैज्ञानिक इस पर लगातार काम कर रहे हैं। अगर शनिवार को विक्रम की सफलता से सॉफ्ट लैंडिंग हो जाती तो भारत सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाता, जिस उपलब्धि को जापान ने अब तक हासिल नहीं किया है।
 

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