रायपुर
संकेत हैं कि दिसंबर के अंत में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में महापौर, पालिकाध्यक्ष आैर नगर पंचायत अध्यक्षों के चुनाव सीधे नहीं होंगे। इनका चुनाव सामान्य सभा के लिए चुने गए पार्षदों द्वारा करवाए जाने की तैयारी चल रही है। राज्य सरकार इसके लिए नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव करने की प्लानिंग में है।
इसके लिए एक -दो दिन में कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया जा रहा है। इस कमेटी की सिफारिश पर कैबिनेट में मंजूरी लेने के बाद राज्यपाल के पास अनुमति के लिए भेजी जाएगी। आला सूत्रों का कहना है कि चूंकि चुनाव के लिए काफी समय रह गया है, इसलिए सरकार अध्यादेश के जरिए निगम एक्ट में इस संशोधन कर लागू करेगी। हाल ही में मध्यप्रदेश में एक्ट को मंजूरी मिलने के साथ ही सीधे पार्षदों द्वारा महापौर चुने जाने का रास्ता साफ हो गया है। एमपी में हुए बदलाव के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ में इस तरह की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
दो दिन पहले ही सीएम बघेल ने रसमड़ा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कुछ इसी तरह के संकेत दिए थे। यदि ऐसा हुआ तो पार्षद दल के नेता को ही महापौर, पालिकाध्यक्ष आैर नगर पंचायत अध्यक्ष बनाया जाएगा।
गौरतलब है कि साल 1994 में अविभाज्य एमपी में महापौर और अध्यक्ष पार्षद करते थे। इसके बाद साल 1999 से इनका चुनाव, विधायक -सासंद की तरह सीधे जनता के द्वारा होता था। यह सिलसिला अब तक जारी है। इधर सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार नगरीय क्षेत्रों में महापौर और पार्षदों के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए ऐसा करने जा रही है।
निगम-मंडल में दावेदारों की कम होगी भीड़ : बताया गया है कि यदि महापौर का चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाएगा तो कई दिग्गज नेता भी पार्षद चुनाव लड़ने मैदान में उतरंेगे। अभी तक महापौर का टिकट नहीं मिलने पर दिग्गज नेता घर बैठ जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। बड़े नेता भी वार्ड की राजनीति में उतरकर महापौर बनना चाहेंगे। इससे निगम-मंडल के लिए के लिए बढ़ रही भीड़ भी कम होगी।