भोपाल
कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश में 'ऑपरेशन लोटस' सफल होता दिख रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अब अगर सबकुछ योजना के मुताबिक रहा तो 'मामा' के नाम मशहूर शिवराज सिंह चौथी बार राज्य के सीएम होंगे। भगवा पार्टी अगर ऐसा करने में सफल रहती है तो वह कांग्रेस पार्टी से महाराष्ट्र का हिसाब बराबर कर लेगी।
महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी ने शिवसेना का साथ देकर बीजेपी को सत्ता की रेस से बाहर कर दिया था। उधर, सिंधिया के झटके से कांग्रेस के नेता सकते में हैं। कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि ऐसे समय में जब वे बीजेपी को अर्थव्यवस्था और सीएए के मुद्दे पर घेर रहे थे, उस समय सिंधिया और बीजेपी सत्तापलट के लिए साजिश रच रहे थे।
ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में बीजेपी होगी मजबूत
विश्लेषकों का मानना है कि ज्योतिरादित्य के आने से ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में बीजेपी मजबूत होगी। यह वही इलाका है जहां पर भगवा पार्टी ने वर्ष 2018 में हुए चुनाव में खराब प्रदर्शन किया था। ग्वालियर और चंबल इलाका सिंधिया का गढ़ माना जाता है। बीजेपी को यह भी लग रहा है कि ऐसे समय पर जब केंद्र की मोदी सरकार कई मोर्चों पर जूझ रही है, इस पूरे घटनाक्रम से लोगों का ध्यान कांग्रेस की अंदरुनी कलह पर चला जाएगा।
साथ ही उन अफवाहों पर भी रोक लगेगी जिसमें कहा जा रहा था कि मोदी-शाह के साथ शिवराज की नहीं बनती है। ऐसी अटकलें हैं कि बीजेपी 'अविश्वास प्रस्ताव' के जरिए कमलनाथ सरकार को नहीं गिराना चाहती है। बीजेपी सूत्रों ने बताया कि हम जल्दबाजी में नहीं थे और विरोधाभासों के गहराने का इंतजार किया। शुरू में सिंधिया के साथ उनके परिवार के अन्य सदस्यों के संबंधों को लेकर कुछ आशंका थी। हालांकि बाद में इसे सुलझा लिया गया।
अब इस बार सिंधिया परिवार एकजुट
ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिरादित्य का अपनी बुआ और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ अच्छे संबंध नहीं है। परिवार में इस विरोध की शुरुआत आपातकाल के विरोध के समय हुई थी। ज्योतिरादित्य की दादी विजयाराजे सिंधिया ने आपातकाल का विरोध किया और भारतीय जनसंघ के साथ बनी रहीं। सूत्रों के मुताबिक अब इस बार सिंधिया परिवार एकजुट है।
हाल ही में एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें वसुंधरा राजे सिंधिया अपने भतीजे ज्योतिरादित्य को गले लगा रही हैं। इससे यह संकेत मिलने लगा था कि पूरा परिवार अब एक साथ है। मध्य प्रदेश में कई और नेता सीएम पद के दावेदार हैं लेकिन शिवराज का दावा सबसे मजबूत है। हालांकि बीजेपी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। इस पूरे मामले को देख रहे एक बीजेपी नेता ने बागी विधायकों को बेंगलुरु भेजने से पहले सिंधिया से पूछा कि क्या वह पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं।
बुआ यशोधरा राजे ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
बागी विधायकों ने जब कहा कि वे पूरी तरह से एकजुट हैं तब बीजेपी नेता मैदान में उतरे। शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अमित शाह समेत पार्टी हाई कमान के साथ बैठक की। इसके बाद कमलनाथ सरकार को गिराने की पूरी पटकथा रची गई। इस पूरे मामले में सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यशोधरा राजे ने ज्योतिरादित्य के इस्तीफे को 'घर वापसी' करार दिया। ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया अपनी मां के साथ मतभेद के बाद जनसंघ छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे।