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चीनी सप्लाई घटी, जरूरी दवाइयों का खत्म हो सकता है स्टाक

 नई दिल्ली
कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच सरकार ने उन महत्वपूर्ण और जरूरी दवाइयों की पहचान की है जिनका स्टॉक खत्म हो सकता है। इनमें एमॉक्सिसिलिन, मॉक्सिफ्लॉक्सासिन, डॉक्सिसाइक्लीन जैसी एंटीबायोटिक और ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) की दवा रिफैंपिसिन शामिल हैं। दरअसल, दवाइयों को बनाने में चीनी मटीरियल का इस्तेमाल होता है और कोरोना के कारण चीनी सप्लाई पर असर पड़ रहा है। उधर, एक उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट फार्मास्युटिकल विभाग को सौंपी थी। उसने 54 दवाओं की समीक्षा की गई थी। उनमें से 32 को बेहद जरूरी बताया गया था। इनमें 15 दवाइयां नॉन-क्रिटिकल श्रेणी की हैं।

32 दवाओं का नहीं है कोई विकल्प
पैनल ने कुछ समय पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से कुछ ऐसी दवाओं की समीक्षा करने को कहा था, जिनके API (एक्टिव फार्मा इनग्रेडिएंट) के लिए भारत पूरी तरह चीन पर निर्भर है। काउंसिल को ऐसी दवाओं के विकल्प सुझाने को भी कहा गया था। रिपोर्ट में बताया गया, 'रिव्यू की गई दवाओं में से 32 ऐसी हैं जिनका कोई विकल्प नहीं है।' ये दवाएं कई श्रेणियों की हैं। ICMR ने जिन दवाओं की समीक्षा की थी, उनमें से 38 नैशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस (NLEM) का हिस्सा हैं। शेड्यूल 1 के तहत इनकी सस्ते दाम पर बिक्री की जाती है। NLEM में शामिल दवाओं की अच्छी संख्या में उपलब्धता होनी चाहिए। इनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही इनकी तय दाम पर बिक्री होती है।

कोरोना से ठप पड़ा उत्पादन
चीन में कोरोना वायरस फैलने के कारण प्रॉडक्शन ठप पड़ा है। इसके मद्देनजर कंपनियों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। मैनकाइंड के CMD आर सी जुनेजा ने बताया, 'एमॉक्सिसिलिन एक महत्वपूर्ण API है जिसका मॉक्सिकाइंड-सीवी जैसे एंटीबायोटिक्स के उत्पादन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। चीन में बनी स्थिति के चलते दवाओं की कमी की चिंता के बीच हमने विक्रेताओं को भारी मात्रा में ऑर्डर दिए हैं। इसके लिए हमें 100 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े हैं। हालांकि, अप्रैल मध्य तक हालात ऐसे ही रहे तो दवाओं की काफी कमी हो जाएगी।'

डॉक्टरों में भी बढ़ी चिंता
डॉक्टरों को भी चिंता है कि टीबी के इलाज में काम आने वाली रिफैंपिसिन जैसी जरूरी दवाओं की कमी खतरनाक साबित हो सकती है। एक डॉक्टर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'इस ड्रग की बिक्री नहीं रुक सकती है। इसकी सप्लाई बिगड़ने से बड़ी मुश्किल हो जाएगी।' भारत दवाओं के उत्पादन में काम आने वाले API और इंटरमीडियरीज के लिए चीन पर काफी निर्भर करता है। रिपोर्ट में कहा गया, 'कमेटी API और KSM का महत्व समझते हुए ICMR से आग्रह करती है कि इन दवाओं के विकल्प ढूंढे जाएं।'

एक्सपर्ट पैनल ने दवा कंपनियों से उनकी इनवेंटरी की जानकारी देने को भी कहा था। ईटी ने पहले रिपोर्ट दी थी कि सरकार ने 12 दवाओं के निर्यात पर रोक लगाई है। इनके उत्पादन के लिए जरूरी API चीन के हुबेई प्रांत से आयात किए जाते हैं, जिसकी राजधानी वुहान से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी।

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