नई दिल्ली
करॉना वाइरस वैश्विक महामारी का रूप ले रहा है। चीन में अब तक इस वाइरस से 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि वैश्विक स्तर पर 34 हजार से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं। वुहान के साथ-साथ चीन के कई शहरों में जनजीवन ठप है। इस महामारी के कारण औद्योगिक गतिविधियां धीमी हो गई हैं, जिससे व्यापार पर काफी व्यापक असर दिखाई दे रहा है। वैश्विक व्यापार में चीन की अहमियत बहुत ज्यादा है। ऐसे में अगर वहां स्थिति बिगड़ती है तो असर वैश्विक होगा ही। असेट मैनेजर्स ने संभावना जताई है कि करॉना के कारण वैश्विक जीडीपी 0.20-0.30 फीसदी तक घट सकती है।
करॉना के चलते 20% लुढ़का कच्चा तेल
ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक लोवी इंस्टिट्यूट के रिसर्च में कहा गया है कि करॉना के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बहुत जल्द असर दिखाई देने लगेगा। कच्चा तेल 20 फीसदी तक सस्ता हो चुका है। वैश्विक बाजार में इसकी कीमत 55 डॉलर तक गिर चुकी है। वर्ल्ड ट्रेड में अब चीन का दबदबा अमेरिका से ज्यादा हो गया है। विश्व के ज्यादातर देशों का ट्रेड अमेरिका के मुकाबले चीन से ज्यादा है। ऐसे में चीन में महामारी का रूप ले चुके करॉना से वैश्विक अर्थव्यवस्था अछूता नहीं रह सकती है।
वर्ल्ड ट्रेड में चीन के दबदबे को अगर आंकड़ों के आधार पर समझने की कोशिश करें तो चीन 2001 में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO)का सदस्य बना। उस समय WTO के 80 फीसदी देशों का अधिकतम व्यापार अमेरिका से साथ हुआ करता था। 2018 की डेटा के मुताबिक, WTO के 30 फीसदी देश अमेरिका के साथ ज्यादा व्यापार कर रहे हैं, जबकि 66 फीसदी (190 में 128 देश) चीन के साथ ज्यादा व्यापार कर रहे हैं।
करॉना का आर्थिक असर
1. बैंक और असेट मैनेजर्स ने संभावना जताई है कि करॉना के कारण वैश्विक जीडीपी 0.20-0.30 फीसदी तक घट सकती है। यह अनुमान उस परिस्थिति पर आधारित है, अगर फरवरी में इस पर कंट्रोल कर लिया जाता है और मार्च-अप्रैल तक हालात सामान्य हो जाते हैं।