पटना
वैसे तो लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से जुड़े फैसले पिछले तीन-चार वर्षों से चिराग पासवान (Chirag Paswan) ही ले रहे थे, लेकिन मंगलवार को उन्हें विधिवत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) की कमान सौंप दी गई। अभी तक वे पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष थे। इसके साथ ही अब एलजेपी में ऊपर से लेकर नीचे तक सब कुछ नया-नया है। एलजेपी के संस्थापक रहे व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) कहते हैैं कि पार्टी अब युवा हो गई है, इसलिए कमान युवाओं के हाथ में ही रहनी चाहिए।
मुख्य रूप से एलजेपी की जमीन बिहार में है। छह सांसद वाली पार्टी ने 15 दिनों पहले राज्य इकाई की कमान प्रिंस राज (Prince Raj) को सौंपी थी जो चिराग से भी कम उम्र के हैैं। चिराग की काबिलियत की प्रशंसा प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी कर चुके हैं। लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद उनकी असली परीक्षा आगामी बिहार विधसानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में होगी।
लोकसभा चुनाव में काम आई थी चिराग की रणनीति
रामविलास का भरोसा चिराग में कुछ यूं है कि एलजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं थी। चिराग ने ही तय किया कि एलजेपी, एनडीए का हिस्सा बनेगी। तब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही एलजेपी को छह सीटें मिल गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिराग पासवान की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने चिराग की तारीफ करते हुए कहा था कि सांसदों को उनकी ही तरह होमवर्क करके संसद में आना चाहिए।