देखी सुनी

चाहे कितना भी कर दो, कुछ लोगों की शिकायतें खत्म ही नहीं होती, उसमें कमियां निकाल ही लाएंगे

अपने ही लखनऊ में नेहा की शादी थी तो नेहा के बाबू जी सब बारातियों के भव्य स्वागत की गजब तैयारी किये थे। कुल 70 बारातियों के लिये सत्तर किस्म के व्यंजन तो केवल जनवासे में परोसे गये। साथ मे शुद्ध दूध की कॉफी और मेवे अलग से। बारह तरह की शुद्ध देसी घी की मिठाइयो और स्पेशल मूंग का हलवा भी।

बारातियों के ठहरने के लिये बड़े-बड़े हॉलनुमा कमरों में सत्तर मुलायम बिस्तर लगवाये गये। और हर बिस्तर के सिरहाने एक एक टेबल फैन और हर दो बिस्तर के बीच एक फर्राटेदार पांच फुटा कूलर। साथ ही नहाने के लिये,सबके लिए अलग-अलग खुशबूदार साबुन। नहाने के बाद पोछने के लिए, झक सफेद रुई जैसी कोमल एक-एक तौलिया सबको।

सफाई इतनी कि लोग सबके सामने आईना तक देखने मे संकोच कर रहे थे। वो आयें-बायें करके चोरी-चोरी फर्श पर ही खुद को निहार रहे थे। रात भर खाने पीने का फुल इंतजाम और सुबह विदाई में हर बाराती को एक एक चांदी का सिक्का और पांच सौ एक रुपया नकद भी दिया गया। इतना सब होने के बाद भी इंतजाम पर बारातियो ने कुछ ऐसी प्रतिक्रिया दी।

1. समधी जी इत्ती घोर बेइज्जती करिन है, हम लोगन का बुलाय के की पूछौ मत।
2. जइसे हम लोग कबहुं देसी घी और मेवा न खाय होये।
3. खिलाय-खिलाय पेट खराब कर दिहिन।
4. का हम लोग कबहूं खुशबू वाला साबुन नांही लगाये हैं।
5. इत्ते मुलायम बिस्तरा पर लेटाय दिहिन की सारि पीठिव झुराय लागि।
6. जब पंखा लगाय दिये रहैं तौ कुलरवा लगाय की का जरूरत रही, रतिया भर खटर पटर से कान पाकि गे अलग ते।
7. खानौव उबलत-उबलत परोस दिहिन हमार तो मुहौ जलि गवा।
8. इत्ती मुलायम तौलिया से तो छोट लरिकन का बदन प्वाछा जात है, हम लोगन की खातिर तो तनी गरू तौलिया होये चाही।
9. अरे आपन पैसवा दिखाय रहेन हैं, हम लोगन का।
10. अब चांदी वांदी का को पूछत है, देय का रहा है तो एक्को सफारी सूट दइ देतै।

कुछ ऐसी ही स्थिति आज हिंदुस्तान के कुछ लोगो की है। चाहे कितना भी कर दो, इनकी शिकायतें ही खत्म नहीं होती और उसमें कमियां निकाल ही लाएंगे। कल तक यह कहते रो रहे थे कि एन्काउंटर क्यों नहीं हुआ अब रो रहे हैं, क्यों एन्काउंटर हो गया।

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