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घाटी में नेताओं की रिहाई के लिए सुरक्षा एजेंसियों से सरकार ने मांगा इनपुट

 नई दिल्ली 
जम्मू-कश्मीर में सरकार राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने और बंद नेताओं की रिहाई की संभावना टटोलने के लिए सभी खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट इकट्टा कर रही है। सुरक्षा व कानून व्यवस्था को लेकर आश्वस्त होने के बाद इनकी रिहाई पर फैसला किया जाएगा। सूत्रों ने माना कि बंद नेताओं की रिहाई को लेकर दबाव बढ़ रहा है। इसलिए सकारात्मक संदेश के लिए कुछ अन्य नेताओं की रिहाई पर फैसला हो सकता है।

चौतरफा घेरेबंदी से बचने की कोशिश: दुनिया के कई देशों में मानवाधिकार को लेकर जिस तरह से घेरेबंदी हो रही है उसपर कूटनीतिक तौर पर प्रभावी जवाब देने के बावजूद सरकार लंबे समय तक इस स्थिति को जारी रखने के पक्ष में नहीं है। संसद में भी सरकार को इस मामले पर जवाब देना है। खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला जो लोकसभा के सदस्य भी हैं उनकी लंबी हिरासत को लेकर सवाल खड़े किए जा सकते हैं।

उधर, गृहमंत्री अमित शाह ने संसद सत्र शुरू होने से पहले निदेशक स्तर से ऊपर के अधिकारियों के साथ बैठक करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर जानकारी हासिल की है।

कश्मीर शांतिपूर्ण रहे तो तीन लोगों को नजरबंद रखना बेहतर
वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर घाटी में शांति बरकरार रखने में मदद मिलती है तो तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद ही रहना चाहिए। ये अधिकारी उन्हें नव गठित केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति के बारे में जानकारी देने पहुंचे थे।  केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुशासन और क्षेत्र में विकास तथा युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के प्रयास के तहत सरकार को जम्मू-कश्मीर पर विमर्श में बदलाव लाना होगा। पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उनके नजरबंद रहने के कारण अगर स्थिति शांतिपूर्ण है तब यही बेहतर है कि वो नजरबंद रहें।

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