रायपुर
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने दशमेश सेवा सोसायटी द्वारा सिक्ख पंथ के संस्थापक प्रथम गुरू गुरूनानक देवजी के 550 वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में स्थानीय कृषि महाविद्यालय के सामने स्थित प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में पहुंची और गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेक कर छत्तीसगढ़ की खुशहाली की कामना की। राज्यपाल ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सिक्ख फोरम द्वारा गुरूनानक देव की शिक्षा और उपदेशों पर आधारित अनहद नामक प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया।
उइके ने कहा कि गुरूनानकजी ने समाज में व्याप्त भेदभाव एवं अस्पृश्यता आदि विभिन्न कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज को एक सरल और सच्ची राह बताई थी। उनका मानना था कि ईश्वर एक है, जिसे अनेकों नाम से पुकारा जाता है। उन्होंने हमें शांति सौहार्द्र और उचित मार्ग में चलने का रास्ता दिखाया तथा समाज में एकता एवं सद्भाव की ज्योति जलाई। इस अवसर पर राज्यपाल ने उपस्थित जनों को गुरूपर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे गुरूनानक देवजी के उपदेशों पर चलने के लिए समाज को प्रेरित कर रहे हैं, जो अनुकरणीय कार्य है।
राज्यपाल ने कहा कि गुरूनानक जी हमेशा कहा करते थे कि जरूरतमंदों को भोजन कराना और उनकी सहायता करना अत्यंत पुण्य का कार्य है। उन्होंने प्रमुखत: चार शब्दों में उपदेश दिए जिन्हें बहुत ही आसानी से समझा जा सकता है। यह चार उपदेश एकता, समानता, श्रद्धा और प्रेम है। पहले दो शब्द एकता और समानता, वाहेगुरु और मनुष्य के संबंध को बतलाते हैं और दूसरे दो शब्द श्रद्धा और प्रेम, मनुष्य को उन्नति की मंजिल की तरफ ले जाने में सहायक होते हैं। उनका यह कहना था कि पूरी दुनिया कठिनाईयों में है, वह जिसे खुद पर भरोसा है, वही विजेता कहलाता है।
उन्होंने दुनिया को जीतने के बजाय खुद के अंदर विकारों एवं बुराईयों को जीतने और किसी का हक मारने के बजाय मेहनत से धन अर्जन पर जोर दिया। सिक्ख समुदाय के इतिहास में त्याग और बलिदान के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। सिक्ख समाज ने देश और समाज के प्रति दायित्वों को सदैव निभाया है। आज इस अवसर पर हम यह संकल्प लें कि गुरूनानक देवजी के विचारों का हमेशा अनुसरण करेंगे।
इस अवसर पर दशमेश सेवा सोसायटी द्वारा राज्यपाल को शाल और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस मौके पर दशमेश सेवा सोसायटी के पदाधिकारीगण प्रीतपाल सिंह होरा, परविंदर सिंह भाटिया, जसबीर सिंह भाटिया, भजन सिंह होरा, राजेन्द्र सिंह भूटानी, बलविंदर सिंह, देवेन्द्र सिंह, अमरजीत सिंह भाटिया, मंजीत सिंह खनूजा, गुरविंदर सिंह अरोरा, हतीन्द्रपाल बारा एवं बॉबी सिंह होरा सहित एवं बड़ी संख्या में सिक्ख समाज के लोग उपस्थित थे।