भागलपुर
अब कृषि क्षेत्र में ड्रोन से बीमारियों व कीड़ों की पहचान और इलाज कर फसलों का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से एक प्रोजेक्टर पर भागलपुर से लेकर मोकामा के टाल क्षेत्रों तक काम करेगा। इस योजना के तहत कई अन्य कार्य भी होंगे।
इस प्रोजेक्ट के मुख्य अणवेषक और बीएयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रीनिवास राघवन ने बताया कि इस योजना पर बीएयू और वेस्ट सिडनी विश्वविद्यालय के डॉ. अथुला गिनिगे के बीच करार हुआ है। इस पाइलट प्रोजेक्ट पर दो साल तक काम होगा। इस प्रोजेक्ट पर एक करोड़ 23 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास की रफ्तार योजना के अंतर्गत यह राशि खर्च होगी। प्रोजेक्ट को डॉ. श्रीनिवास और मृदा विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बीके विमल ने मिलकर तैयार किया है।
चार फसलों पर होगा काम
इस प्रोजेक्ट के तहत चना, मक्का, मसूर और धान पर काम किया जाएगा। जानकारी हो कि इन क्षेत्रों में इन्हीं अनाजों की खेती ज्यादा होती है। इससे सबसे अधिक किसान जुड़े हुए हैं।
डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के डॉ. अथुला गिनिगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक्सपर्ट हैं। वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बीमारियों और कीड़ों पहचान में मदद करेंगे। इस योजना पर काम करने के लिए ड्रोन, विभिन्न तरह के सेंसर, कीटनाशक, सैटेलाइट डेटा व प्लॉटर मशीन खरीदी जाएंगी।
बीमारियों और कीड़ों की होगी पहचान
इस योजना से फसलों की बीमारियों और कीड़ों की पहचान में मदद मिलेगी। इसके बाद इसे दूर करने के उपाय भी बताए जाएंगे।
कीटनाशकों का होगा छिड़काव
इस ड्रोन के माध्यम से खेतों में कीटनाशनों का छिड़काव किया जाएगा। इसमें ड्रोन स्थानों को चिह्नित कर वहां पर छिड़काव करेगा।
इस प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद किसानों को एक बड़ी सुविधा मिलेगी। इससे किसान बीमारी और कीड़ों की आसानी से पहचान कर खुद उसका इलाज कर सकेंगे और फसल का उत्पादन बढ़ा सकेंगे। इससे किसान नुकसान से बच सकेंगे। – डॉ. आरके सोहाने, निदेशक, प्रसार शिक्षा, बीएयू