गणेश चतुर्थी : जानें क्या है पूजा का मुहूर्त और क्या है महत्व

 
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाई जाती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि यह प्रथम पूज्य गजानन भगवान का पर्व है, इस दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में गणेश जी की पूजा की जाती है।धार्मिक मान्यता के अनुसार  गणेशजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था इसी कारण से यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है।

यह कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ के नाम से भी जानी जाती है। इस साल गणेश चतुर्थी 2 सितंबर यानी आज है। गणेश स्थापना से ही गणेशोत्सव की शुरुआत हो जाएगी और 10 दिन तक यानि अनंत चतुर्दशी के दिन तक यह उत्सव चलता है और 10वें दिन गणपति विसर्जन के साथ इसका समापन होता है। तो चलिए हम आपके साथ इस साल पूजा का शुभ मुहूर्त के साथ इससे जुड़ी पौराणिक महत्ता और कुछ खास बातें साझा करते हैं।
 
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गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त :
 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजे से 37 मिनट तक।
अवधि :
2 घंटे 32 मिनट
श्रीकृष्ण को मिली थी मिथ्या आरोप से मुक्ति
गणेश चतुर्थी को लेकर जो पौराणिक मान्यता है वह यह है कि भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमन्तक मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था और उनका अपमान हुआ था। नारद जी ने उनकी यह दुर्दशा देखकर उन्हें बताया कि उन्होंने भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गलती से चंद्र दर्शन किया था जिस वजह से वह तिरस्कृत हुए हैं। नारद मुनि ने श्रीकृष्ण को यह भी बताया कि इस दिन चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। इसलिए इस दिन जिसने भी चंद्रमा के दर्शन किए उस पर झूठे आरोप लगता है नारद मुनि की सलाह पर श्रीकृष्ण जी ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया और दोष मुक्त हुए। इसलिए इस दिन पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को झूठे आरोपों से मुक्ति मिलती है।

पापों का होता है नाश
भारतीय संस्कृति में गणेश जी को विद्या-बुद्धि का प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षाकारक, सिद्धिदायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान प्रदायक माना गया है। वैसे तो हर माह की कृष्णपक्ष की चतुर्थी को ‘संकष्टी गणेश चतुर्थी’ व शुक्लपक्ष की चतुर्थी को ‘विनायकी गणेश चतुर्थी’ के रूप में मनाया जाता है लेकिन भाद्रपद शुक्ल की गणेश चतुर्थी को को गणेश जी के प्रकट होने के कारण भक्त इस दिन उनकी विशेष पूजा-आराधना करके पुण्य अर्जित करते हैं। कहते हैं कि अगर मंगलवार को यह गणेश चतुर्थी आए तो उसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं साथ ही इस दिन रविवार या मंगलवार पड़ने पर यह महाचतुर्थी भी मानी जाती है, धार्मिक मान्यता है कि इसमें पूजा और व्रत करने से अनेक पापों का नाश होता है। रविवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ फलदायी मानी गई है।

महाराष्ट्र में यह पर्व गणेशोत्सव के तौर पर भव्य रूप से मनाया जाता है। लोग पूरी श्रद्धा भाव से बप्पा को घर पर स्थापित करते हैं और उनको मोदक आदि का भोग लगाकर पूजा आरधना करते हैं। इस दौरान गणेश जी को भव्य रूप से सजाकर उनकी पूजा की जाती है। कहते हैं गणपति बप्पा इस दौरान मानी गई हर मनोकामना को पूरी करते हैं। यह उत्सव दस दिन तक चलता है और अनंत चतुर्दशी (गणेश विसर्जन दिवस) पर समाप्त होता है। इसके बाद लोग बप्पा को अगले साल जल्दी घर पधारने का निमंत्रण देते हुए अंतिम दिन गणेश जी की ढोल-नगाड़ों के साथ झांकियां निकालकर उन्हें जल में विसर्जित कर देते हैं।

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