स्किन कैंसर के बारे में आमतौर पर लोगों शुरुआती चरण में नहीं पता चल पाता है। इसका बड़ा कारण है जानकारी का अभाव। जब ज्यादातर लोगों को यह पता चलता है कि वे इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसे में जरूरी है कि हमें स्किन कैंसर के बारे जानकारी जरूर होनी चाहिए…
आमतौर पर स्किन कैंसर धूप में बहुत अधिक एक्सपोजर खासतौर पर अल्ट्रावाइलट रेज के दौरान धूप में बाहर रहने से होता है। वहीं कुछ लोगों को ब्यूटी ट्रीटमेंट के चलते भी इस बीमारी का शिकार बनना पड़ जाता है। इसमें ज्यादातर केस में आर्टिफिशल टैनिंग मशीन का यूज होता है। वहीं, घटिया क्वालिटी के ब्यूटी प्रॉडक्ट्स भी स्किन कैंसर की वजह बन सकते हैं।
क्या कहती हैं रिसर्च?
आमतौर पर स्किन कैंसर उन लोगों में देखने को मिलता है, जिनकी स्किन का कलर बहुत अधिक फेयर होता है। या उनकी फैमिली हिस्ट्री में स्किन कैंसर शामिल हो। इसके अतिरिक्त त्वचा का पहले जल जाना भी इसकी वजह हो सकता है। जुलाई के महीने में ऑस्ट्रेलियाई अनुसंधानकर्ताओं ने अपने एक शोध के रिजल्ट्स के आधार पर कहा कि परजीवी संक्रमण को रोकने के लिए लगभग चार दशक से इस्तेमाल की जा रही एक दवा चूहों में ‘मेलानोमा’ से लड़ने में मदद कर सकती है। ‘मेलानोमा’ त्वचा कैंसर का सबसे घातक प्रकार है।
बेरियाट्रिक सर्जरी है मददगार
जो पेशेंट बेरियाट्रिक सर्जरी कराते हैं, उनमें स्वत: स्किन कैंसर और मेलानोमा होने का रिस्क कम हो जाता है और यह सर्जरी सीधे तौर पर इन स्किन कैंसर के होने की संभावनाओं को खत्म करती है। त्वचा कैंसर के जोखिम में कमी का आधार बॉडी मास इंडेक्स या वजन सर्जरी के बाद वजन का घट जाना नहीं है और ना ही इंसुलिन, ग्लूकोज, लिपिड और क्रिएटिनिन स्तर, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर, शराब का सेवन या धूम्रपान से इसका रिश्ता है। आमतौर पर स्किन कैंसर त्वचा में होनेवाली कुछ प्रतिक्रियाओं के कारण होता है। जबकि बेरिएट्रिक सर्जरी के बाद मोटापे के साथ रोगियों में मेलेनोमा की घटनाओं में काफी कमी आ जाती है, जिस कारण स्किन कैंसर का रिस्क घटता है।
स्किन कैंसर के लक्षण
स्किन कैंसर के मुख्य लक्षणों में रोगी को बार-बार त्वचा से संबंधित एग्जिमा जैसी बीमारी होना, गाल, गर्दन, फोरहेड और आंखों की स्किन के आस-पास की स्किन में जलन, इचिंग होना और स्किन का लगातार लाल बने रहना शामिल है। इसके साथ ही अगर रोगी के शरीर पर कोई बर्थ मार्क है उसका रंग तेजी से बदलने लगता है। रोगी के स्किन पर कई तरह के धब्बे हो जाते हैं और ये धब्बे कई हफ्तों तक पड़े रहते हैं।