अयोध्या
राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का रास्ता सुप्रीम कोर्ट ने भले साफ कर दिया है लेकिन मुस्लिम पक्ष इस रास्ते को आसानी से नहीं छोड़ना चाहता है। कोर्ट का फैसला उन्हें अभी भी हजम नहीं हो पा रहा है। रिव्यू पिटीशन का तुरंत खारिज हो जाना और इस पक्ष के लिए और भी अखरने वाला रहा। यही कारण है कि अब क्यूरेटिव पिटीशन के लिए विशेष रणतीति बनाई जा रही है। पिछले दिनों सीएए के देशव्यापी उग्र विरोध ने केन्द्र सरकार को इसका पूरा एहसास करा दिया है। इसलिए नये ट्रस्ट का प्रारूप तैयार हो जाने के बाद भी अभी सरकार क्यूरेटिव पिटीशन दायर होने और उस पर कोर्ट का निर्णय आने का इंतजार करेगी।
कोर्ट ने 9 नवंबर के फैसले में केन्द्र सरकार की ओर से ट्रस्ट की नियमावली बनाने के लिए तीन माह का समय नियत किया है। यह अवधि आठ फरवरी 2020 को पूरी होगी। इसके पहले यह भी तय है कि क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर होगी और कोर्ट भी अपना रुख स्पष्ट कर देगा। केन्द्र सरकार ने यह संदेश हिन्दू संगठनों तक पहुंचा दिया है। इसी के चलते रामनवमी के अवसर पर रामजन्मभूमि में प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप मंदिर निर्माण की आधारशिला रखे जाने का प्रस्ताव है। इसके पहले माना जा रहा था कि खरमास की समाप्ति के बाद मकर संक्रांति के आसपास नये ट्रस्ट की घोषणा हो जाएगी। फिलहाल यह इंतजार लंबा भी हो सकता है।
इसके लिए संत समाज को भी भरोसे में लेने के लिए अंदरखाने सरकार और संगठन के विशेष दूत सम्पर्क में जुटे हैं। विहिप के शीर्ष नेतृत्व के साथ संघ नेतृत्व भी इस अभियान को बल दे रहा है। इसकी कमान संघ के दोनों सर कार्यवाह भैयाजी जोशी एवं डॉ. कृष्ण गोपाल संभाल रहे हैं। इसी सिलसिले में संघ के सर कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल अयोध्या में दो दिन प्रवास भी कर चुके हैं। उन्होंने अयोध्या के पर्यटन विकास योजनाओं की भी समीक्षा की और इंटरनल मास्टर प्लान बनाने का निर्देश भी जिला प्रशासन को देकर गये हैं।
उधर पौष शुक्ल पूर्णिमा यानी 10 जनवरी से प्रयागराज में माघ मेला शुरू होगा। इस दौरान 20 जनवरी को विहिप के केन्द्रीय मार्ग दर्शक मंडल के धर्माचार्यों की बैठक होगी। बैठक में कोई बखेड़ा न हो इसकी तैयारी अभी से की जा रही है।उधर निर्मोही अखाड़े के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और अखाड़े के पंचों की दावेदारी के अलावा रामालय ट्रस्ट की आड़ में द्वारिका व ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की हुंकार को देखते हुए केन्द्र सरकार ने सर्वमान्य ट्रस्ट गठन की दिशा में खासी मगजमारी की है। ट्रस्ट का प्रारूप काफी हद तक तैयार हो गया है।