विदेश

कोरोना वायरस: सदमे में चीन, अब पड़ोसियों से लगाई एकजुट रहने की गुहार

 
वियनतियान

जानलेवा कोरोना वायरस से निपटने के तरीकों के चलते दुनियाभर में चीन को आलोचना झेलनी पड़ रही है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक 2,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 70,000 से ज्यादा लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में हैं। अब चीन ने गुरुवार को करॉना वायरस के खतरे पर विचार-विमर्श करने के लिए साउथ ईस्ट एशियाई देशों की एक स्पेशल मीटिंग बुलाई, जिसमें चीन ने कोरोना से निपटने के लिए एकजुट रहने की अपील की है।
 जल्दबाजी में बुलाई गई यह बैठक लाओस में हुई। चीन ने अपने छोटे-छोटे पड़ोसियों से कोरोना पर समर्थन मांगा है। इन देशों को पिछले कुछ सालों में इसके बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीनी निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर से करोड़ों डॉलर की रकम हासिल हुई है।
 
ASEAN देशों के विदेश मंत्रियों ने मीटिंग में चीनी समकक्ष वांग यी से हाथ मिलाया और जोरदार आवाज में कहा, 'मजबूत रहो, वुहान! मजबूत रहो, चीन! मजबूत रहो ASEAN!' बता दें कि दुनियाभर में तेजी से अपने पैर पसार रहे कोरोना का केंद्र चीन का शहर वुहान है।
 
कोरोना वायरस को लेकर लोगों में ऐसा खौफ है कि जरा सी सर्दी-खांसी होने पर भी लोग अपनी मेडिकल जांच करवा रहे हैं। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ऐसे दो मरीज पहुंचे जिनकी रिपोर्ट कोरोना वायरस पॉजिटिव बताई गई थी। डॉक्टरों ने उन मरीजों को क्या बताया, देखिए इस विडियो रिपोर्ट में।

मीटिंग के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में बताया, 'वायरस से ज्यादा धमकाने वाला है डर और सोने से भी ज्यादा कीमती विश्वास है।' इस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में साउथईस्ट एशियाई नेताओं की एक विडियो क्लिप से किया गया जिसमें उन्होंने चीन को समर्थन देने की बात कही।
 

नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में पब्लिक पॉलिसी के ली कुआं यू स्कूल में असोसिएट प्रफेसर अल्फ्रेड एम. वू ने कहा, 'चीन पश्चिम से हो रहे उन हमलों का जवाब देने के लिए ASEAN देशों में दोस्ती के संदेश को जोर-शोर से बढ़ावा दे रहा है। पश्चिमी देशों ने चीन पर कोरोना वायरस से ठीक तरह नहीं निबटने का आरोप लगाया है।'

'लिटमस टेस्ट'
आसियान और चीन सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर हैं। हर साल करीब 65 मिलियन से ज्यादा लोग इन देशों में यात्रा करते हैं। कई आसियान देशों की अर्थव्यवस्था चीनी टूरिस्ट के भरोसे ही है। सभी आसियान देशों को मिलाकर देखें तो यह चीन के दूसरे सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर हैं।

लेकिन कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगे प्रतिबंधों के चलते दुनिया की नंबर 2 इकॉनमी को झटका लगा है। इसके साथ ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रेलवे, पोर्ट्स और हाईवे वाले महत्वपूर्ण बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को भी रोक दिया है। चीन के BRI पर अध्ययन कर रहे एक स्वतंत्र रिसर्चर का कहना है, 'कोरोना वायर पर देशों की प्रतिक्रिया चीन के लिए दोस्ती के 'लिटमस टेस्ट' की तरह बन गई है।' उन्होंने आगे कहा, 'आसियान में देशों के बीच इस पर बंटी हुई प्रतिक्रिया है। इनमें से दो देश- कंबोडिया और लाओस ने स्वाभाविक तौर पर दोस्ती का प्रदर्शन किया है।'
 
वहीं इससे इतर, सिंगापुर ने प्रत्यक्ष तौर पर चीन से आवाजाही पर बैन लगा दिया है। फिलीपींस ने भी चीन, हॉन्गकॉन्ग और मकाउ से आने वाले सभी विदेशी नागरिकों को आने से रोक दिया है। मलेशिया ने उन सभी चीनी प्रांतों की यात्रा करने पर अस्थाई बैन लगा दिया है जिन पर चीन की सरकार ने यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। मीटिंग खत्म होने के बाद गुरुवार को थाइलैंड ने एक ट्रैवल अडवाइजरी जारी की। इस अडवाइजरी में यात्रियों से बिना किसी जरूरत चीन की यात्रा को नजरअंदाज करने को कहा। इसके अलावा जो पहले से चीन में हैं, उनसे वहां से निकलने को भी कहा गया है। थाइलैंड ने संकेत दिए हैं कि आने वाले वक्त में चीन के लिए फ्लाइट्स बंद की जा सकती हैं।

चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, बुधवार देर रात तक वांग ने अपने समकक्षों के साथ निजी द्विपक्षीय बैठक मे ट्रैवल प्रतिबंधों में छूट देने पर बात की। बुधवार की रात सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियान बालाकृष्णन के साथ मुलाकात में वांग ने कहा कि चीन सिंगापुर के 'प्रतिबंधो' को लेकर चिंतित है और उम्मीद करता है कि जल्द से जल्द दोनों देशों के बीच सामान्य आदान-प्रदान शुरू होगा।

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