मध्य प्रदेश

कैबिनेट : CM ने मंत्रियों को दी विवादों से दूर रहने की सलाह

भोपाल
सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) ने कैबिनेट कमिटी की बैठक की. मंत्रालय में दो घंटे तक चली इस बैठक में करीब 12 मंत्री शामिल हुए. बैठक के बाद ज्यादातर मंत्री मीडिया में बात करने से बचते नज़र आए. हालांकि गृहमंत्री बाला बच्चन ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में किसान कर्ज माफी और युवा स्वाभिमान जैसी योजनाओं को लेकर चर्चा की गई.

सूत्रों की मानें तो सीएम कमलनाथ ने बैठक के दौरान मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर मंत्रियों से चर्चा की. विधायक और मंत्रियों की बयानबाजी से सरकार को हो रहे नुकसान को लेकर भी सीएम के साथ मंत्रियों की चर्चा हुई. माना जा रहा है कि सीएम की ओर से सभी मंत्रियों और विधायकों को हिदायत दी गई है कि वो ऐसा कोई भी बयान देने से बचें जिससे सरकार की छवि खराब हो.

दरअसल, मध्‍य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जब से कमलनाथ ने मुख्‍यमंत्री (Chief Minister) के तौर पर जिम्‍मेदारी संभाली है, तब से मंत्रियों और नेताओं के एक-दूसरे पर आरोप लगाने का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. जबकि वन मंत्री उमंग सिंघार (Forest Minister Umang Singhar) और पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Ministers Digvijay Singh) की लड़ाई तो कांग्रेस और कमलनाथ दोनों के लिए मुसीबत बन गई है. इसी वजह से भाजपा भी कांग्रेस और कमलनाथ पर हमलावर हो गई है.

बाला बच्चन (गृह मंत्री) ने कहा कि बैठक में किसान कर्ज माफी और युवा स्वाभिमान योजना को लेकर चर्चा हुई है. जहां तक बात उमंग सिंघार और दिग्विजय सिंह के बीच विवाद की है तो ये मामला अब खत्म हो चुका है. सीएम कमलनाथ ने सबको अपनी लाइन और आचार संहिता के बारे में बता दिया है और अगर कोई उसका उल्लंघन करेगा तो फिर सीएम इस पर फैसला करेंगे.

आपको बता दें कि इससे पहले सीएम कमलनाथ सिंह-सिंघार विवाद को लेकर वन मंत्री उमंग सिंघार को सीएम हाउस तलब कर चुके हैं. सीएम हाउस तलब होने के बाद से उमंग सिंघार के तेवर थोड़े नरम हैं. हालांकि बुधवार रात उन्होंने एक ट्वीट कर फिर सरगर्मियां बढ़ा दीं.

3 सितंबर को वन मंत्री उमंग सिंहार के अलावा सीएम कमलनाथ ने पार्टी के कई और बड़े नेताओं से भी मुलाकात की थी, जिसमें कैबिनेट मंत्री कमलेश्वर पटेल, हर्ष यादव, जीतू पटवारी और कांग्रेस प्रदेश मीडिया प्रभारी शोभा ओझा शामिल थीं. यह सारी कवायद कांग्रेस की खराब होती छवि को रोकने की थी.

वन मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा था कि उन्हें पत्र लिखने की क्या जरूरत है वो तो खुद पर्दे के पीछे से प्रदेश की सरकार चला रहे हैं. साथ सिंघार ने कहा कि दिग्विजय सिंह को उन्हीं की शैली में जवाब देना जरूरी है. उन्‍होंने कहा कि दिग्विजय सिंह खुद उल्टे-सीधे धंधे करा रहे हैं. जबकि बीजेपी के समय से संबंधित विभागों में जमे हुए अधिकारियों को अब तक हटाया नहीं गया है. यही वजह है कि प्रदेश में परिवहन आयुक्त जैसे पद पर एक ही अधिकारी कई वर्षों से टिके हुए हैं.

सिंघार यहीं नहीं रुके बल्कि दिग्विजय सिंह पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप भी लगाया था. उमंग सिंघार ने कहा था कि दिग्विजय सिंह रेत उत्खनन भी करवा करे हैं. जबकि वह दिग्विजय आईएएस और आईपीएसके तबादलों में दखलअंदाजी भी कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की दौड़ में पिछड़ने के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से भी आउट होते दिख रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद को लेकर मचे घमासान के बीच पार्टी ने बड़ा फैसला लिया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी. मौजूदा पीसीसी चीफ कमलनाथ ही इस पद पर बने रहेंगे. आपको बता दें कि अध्‍यक्ष बनने की दौड़ में सिंधिया के अलावा कई और नेता थे. जबकि सभी समर्थक अपने अपने नेता को अध्‍यक्ष बनाने के प्रदर्शन और पोस्‍टरबाजी कर रहे थे.

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