भोपाल। शहर से लगे कलियासोत और केरवा के जंगलों में बाघों के मूवमेंट को देखते हुए अब उससे लगे गांवों में वन विभाग ने मुनादी कराई है कि ग्रामीण घने जंगलों में न जाए और शाम होते ही घर लौट आए। विभाग के एक्सपर्ट का कहना है कि बदलते मौसम में बाघों का मूवमेंट भी तेजी से बदल सकता है। बुधनी और सीहोर एरिया से भी बाघों के इस एरिया में आने की संभावना है। इस क्षेत्र में बाघ के हमलों को देखते हुए वन विभाग के 12 कर्मचारियों की एक टीम दिन-रात यहां पर घूम रही है।
वन विहार में कल रात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ शावकों का जोड़ा सकुशल वन विहार पहुंच गया। यहां उन्हें क्वारेंटाइन (अलग जगह) में रखा गया है। बाघ शावक कुछ ही घंटों में अपने केयर टेकर के काफी करीब आ चुके हैं। केयर टेकर के निर्देश भी वह अच्छे से मान रहे हैं। दोनों बाघ शावक एक ही मां की संतान हैं। उनकी उम्र 2 साल 3 माह है। दोनों की शक्ल एक जैसी है, इसलिए पहचान कर पाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, मादा शावक थोड़ी दुबली व छोटी है। इस आधार पर उसकी पहचान की जा सकती है। वन विहार के सहायक संचालक एके जैन के अनपुसार बांधवगढ़ से भोपाल तक की यात्रा के बाद भी बाघ शावकों में थकान बिल्कुल नजर नहीं आ रही है। इनको अभी शिकार करना उन्हें नहीं आता है इसलिए उन्हें फिलहाल जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा।
केरवा के जंगलों में पिकनिक मनाने वालों और चोरी छिपे घुसने वालों के खिलाफ अब वन विभाग सख्त कार्यवाही करने वाला है। समरधा रंज के रेंजर एके झंवर का कहना है कि पकड़ाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी ताकि दूसरे सैलानी सबक ले सकें।